नई दिल्ली (IANS): एक ओर जहां पाकिस्तान भारत द्वारा आतंकवाद के ढांचे पर की गई कार्रवाई का जवाब देने की धमकी दे रहा है, वहीं दोनों देशों के बीच आर्थिक असमानता भी साफ तौर पर यह दर्शाती है कि आज़ादी के बाद इन पड़ोसी देशों ने कितने अलग रास्ते चुने।
भारत आज दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन चुका है। विश्व बैंक के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी करीब 3.88 ट्रिलियन डॉलर हो चुकी है, जो पाकिस्तान की 0.37 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था से दस गुना अधिक है।
आईएमएफ की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 तक भारत जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, जिसकी नाममात्र जीडीपी 4.187 ट्रिलियन डॉलर होगी। भारत के पास $688 बिलियन का विदेशी मुद्रा भंडार है।
वहीं पाकिस्तान आर्थिक पतन की कगार पर खड़ा है, और आईएमएफ के कर्ज पर निर्भर है। उसके पास सिर्फ 15 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार बचा है।
दिलचस्प बात यह है कि आज़ादी के शुरुआती वर्षों में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भारत के बराबर ही बढ़ रही थी, जिसे अमेरिका की मदद और खाड़ी देशों के दान से बल मिल रहा था।
लेकिन जहां भारत ने लोकतंत्र और विकास पर ध्यान केंद्रित किया, वहीं पाकिस्तान सैन्य तख्तापलट और तानाशाही की गिरफ्त में फंसा रहा। आज भी वहां सेना का वर्चस्व बना हुआ है, जो भारत विरोधी भावनाएं भड़काने और आतंकवाद को बढ़ावा देने में शामिल रही है।
अब पाकिस्तान राजनीतिक अस्थिरता, आतंकी गतिविधियों की कीमत, और बलूचिस्तान व उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत में हिंसा जैसे संकटों के बीच एक आर्थिक गिरावट का सामना कर रहा है।
2023 में पाकिस्तान कर्ज़ चुकाने में असमर्थ था और $3 बिलियन के IMF राहत पैकेज से किसी तरह उबरा। अब भी वह $1.3 बिलियन का क्लाइमेट रेजिलिएंस लोन लेने की कोशिश कर रहा है।
इस बीच, मूडीज़ ने सोमवार को कहा कि भारत की आर्थिक स्थिति स्थिर बनी हुई है, भले ही पहलगाम में 26 पर्यटकों की हत्या के बाद भारत-पाक तनाव बढ़ जाए।
रिपोर्ट के अनुसार, अगर भारत-पाक तनाव बढ़ता है तो पाकिस्तान की वित्तीय स्थिरता पर गहरा असर पड़ेगा और बाहरी वित्तीय मदद तक पहुंच भी कठिन हो जाएगी।
भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत सार्वजनिक निवेश और निजी खपत के चलते स्थिर बनी रहेगी, भले ही रक्षा खर्च में वृद्धि से राजकोषीय सुधार की गति थोड़ी धीमी हो।
मूडीज़ ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि भारत-पाक के बीच लंबे समय तक सीमित तनाव बना भी रहा, तब भी भारत की आर्थिक गतिविधियों पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि पाकिस्तान के साथ भारत का व्यापार बेहद सीमित (2024 में कुल निर्यात का 0.5% से भी कम) है।