मुंबई (IANS): टाटा मोटर्स ने वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में अपने समेकित शुद्ध लाभ में 51 प्रतिशत की तेज गिरावट दर्ज की है। हालांकि कंपनी की कुल आय स्थिर रही और उसकी लक्ज़री वाहन इकाई जगुआर लैंड रोवर (JLR) ने बेहतर प्रदर्शन किया।
कंपनी ने एक नियामकीय फाइलिंग में बताया कि जनवरी से मार्च 2025 के बीच उसका शुद्ध लाभ ₹8,470 करोड़ रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में ₹17,407 करोड़ था।
हालांकि मुनाफा घटा, लेकिन टाटा मोटर्स की समेकित परिचालन से आय 0.4 प्रतिशत की मामूली वृद्धि के साथ ₹1,19,503 करोड़ रही, जबकि पिछली साल की इसी तिमाही में यह ₹1,19,033 करोड़ थी।
कंपनी के कुल खर्च में भी कमी आई और यह ₹1,09,056 करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में ₹1,11,136 करोड़ था। इससे लागत पर कुछ नियंत्रण हासिल हुआ।
मार्च तिमाही में कंपनी की कुल आय ₹1,21,012 करोड़ रही, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में ₹1,20,431 करोड़ थी।
तिमाही का परिचालन लाभ (EBITDA) ₹16,700 करोड़ रहा, जो सालाना आधार पर 4.1 प्रतिशत की गिरावट है। हालांकि, ब्याज और कर पूर्व आय (EBIT) बढ़कर ₹11,500 करोड़ हो गई, जो साल-दर-साल ₹1,000 करोड़ की वृद्धि है।
टाटा मोटर्स ने FY25 के लिए प्रति शेयर ₹6 का अंतिम डिविडेंड देने की घोषणा की है। यह लाभांश कंपनी की आगामी वार्षिक आम बैठक में मंजूरी के बाद, 24 जून या उससे पहले वितरित किया जाएगा।
JLR बना प्रदर्शन का उजाला पक्ष
कंपनी की लक्ज़री वाहन शाखा जगुआर लैंड रोवर (JLR) ने बेहतर प्रदर्शन किया। उत्तरी अमेरिका और यूरोप में अधिक मार्जिन वाले एसयूवी की मजबूत मांग के चलते JLR की बिक्री में 1.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
हालांकि चीन में मांग कमजोर रहने से वृद्धि की रफ्तार थोड़ी धीमी हुई, लेकिन वैश्विक स्तर पर मजबूत बिक्री ने टाटा मोटर्स के घरेलू कारोबार – जिसमें यात्री वाहन, ट्रक और बसें शामिल हैं – की कमजोरी की भरपाई की।
JLR की तिमाही आय में 2.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
टाटा मोटर्स के समूह मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) पी.बी. बालाजी ने बताया कि कंपनी ने वित्त वर्ष 2024-25 में अब तक की सबसे अधिक वार्षिक आय और कर-पूर्व लाभ (अपवादात्मक मदों से पहले) अर्जित किया है।
उन्होंने यह भी बताया कि कंपनी का ऑटोमोटिव कारोबार समेकित रूप से अब कर्ज़मुक्त हो गया है, जिससे ब्याज व्यय में उल्लेखनीय कमी आई है।
भविष्य की दृष्टि
आगे की रणनीति पर बात करते हुए कंपनी ने स्वीकार किया कि वैश्विक अनिश्चितताएं, जैसे आयात शुल्क और भू-राजनीतिक तनाव, ऑटोमोबाइल उद्योग को प्रभावित कर सकते हैं।
हालांकि, कंपनी को उम्मीद है कि प्रीमियम लक्ज़री सेगमेंट और भारतीय घरेलू बाज़ार इन चुनौतियों का मुकाबला करने में सक्षम रहेंगे।