नई दिल्ली (IANS): भारत की वार्षिक थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई दर अप्रैल में घटकर 0.85 प्रतिशत पर आ गई, जो कि पिछले 13 महीनों में सबसे निचला स्तर है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, यह दर मार्च में 2.05 प्रतिशत और फरवरी में 2.38 प्रतिशत थी।
अप्रैल महीने में WPI में माह-दर-माह आधार पर 0.19 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जो महंगाई दर में गिरावट की प्रवृत्ति को दर्शाता है।
खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी और ईंधन की कीमतों में दोहरे अंकों की गिरावट के कारण समग्र थोक महंगाई दर में यह कमी देखी गई है।
इस बीच, देश की खुदरा महंगाई दर भी घटकर अप्रैल में 3.16 प्रतिशत हो गई है, जो मार्च में 3.34 प्रतिशत थी। यह जुलाई 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी से आम उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है।
खाद्य महंगाई, जो CPI की टोकरी में लगभग आधा योगदान देती है, अप्रैल में घटकर 1.78 प्रतिशत हो गई, जो मार्च में 2.69 प्रतिशत थी।
यह लगातार तीसरा महीना है जब महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 4 प्रतिशत के मध्यम अवधि लक्ष्य से नीचे रही है। इससे केंद्रीय बैंक को आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए अपनी नरम मौद्रिक नीति को जारी रखने में मदद मिलेगी।
हाल के महीनों में खुदरा महंगाई में गिरावट का रुझान देखने को मिल रहा है।
RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए महंगाई अनुमान को 4.2% से घटाकर 4% कर दिया है। RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में कहा,
“खाद्य महंगाई के परिदृश्य में निर्णायक रूप से सुधार आया है।”
रबी फसलों को लेकर अनिश्चितताएं अब काफी हद तक दूर हो चुकी हैं। दूसरी अग्रिम अनुमान रिपोर्ट के अनुसार, इस साल गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन और दालों की बेहतर पैदावार होने की उम्मीद है। साथ ही खरीफ फसलों की अच्छी आवक भी खाद्य महंगाई में स्थायी नरमी लाने में मदद करेगी।
इसके अलावा, RBI के हालिया सर्वेक्षण में तीन महीने और एक साल आगे के लिए महंगाई की उम्मीदों में तेज गिरावट दर्ज की गई है, जिससे भविष्य में महंगाई की अपेक्षाएं स्थिर रखने में मदद मिलेगी।