कोच्चि : सरकार ने मसाला क्षेत्र में निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए ‘SPICED’ योजना (Sustainability in Spice Sector through Progressive, Innovative and Collaborative Interventions for Export Development) की शुरुआत की है। यह योजना Spices Board द्वारा शुरू की गई है और इसके तहत किसानों एवं किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) को मसालों के उत्पादन, गुणवत्ता और निर्यात बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य छोटे और बड़े इलायची उत्पादकों की उत्पादकता बढ़ाना, फसल कटाई के बाद की प्रक्रियाओं की गुणवत्ता सुधारना और मूल्य संवर्धित, GI टैग प्राप्त, तथा जैविक मसालों के उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देना है। योजना के तहत वैश्विक खाद्य सुरक्षा मानकों और फाइटोसैनिटरी मानकों के अनुपालन को बढ़ावा देने के साथ-साथ मसालों की पूरी मूल्य श्रृंखला में शामिल हितधारकों की क्षमता भी विकसित की जाएगी।
ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया 26 मई से शुरू होगी।
योजना के अंतर्गत मिलने वाली सहायता:
इसके साथ ही, फसल कटाई के बाद की आधुनिक सुविधाएं, जैसे अत्याधुनिक ड्रायर, स्लाइसर, डिहलर और ग्रेडिंग मशीनों की स्थापना के लिए भी वित्तीय सहायता दी जाएगी, जिससे मसालों की गुणवत्ता बेहतर हो सके।
किसानों और FPOs को मसालों की प्रोसेसिंग से जुड़ी महत्वपूर्ण मशीनों—जैसे स्पाइस पॉलिशर, हल्दी बॉयलर, पुदीना आसवन यूनिट और थ्रेशिंग मशीनों की खरीद में भी सहायता दी जाएगी।
इसके अलावा, योजना बाज़ार से जोड़ने के प्रयासों में भी सहायक है। यह योजना हितधारकों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों, बायर-सेलर मीट्स और अन्य विपणन कार्यक्रमों में भाग लेने के अवसर प्रदान करती है। पहली बार निर्यात करने वाले उद्यमों और छोटे व्यापारियों को विशेष प्राथमिकता दी जाती है ताकि वे भारतीय मसालों को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित कर सकें।
भारत का मसाला क्षेत्र:
भारत दुनिया का सबसे बड़ा मसालों का उत्पादक और निर्यातक है।
मसालों का उत्पादन भी तेजी से बढ़ा है—
FY23 में मसालों का निर्यात 3.73 अरब डॉलर रहा, जबकि FY22 में यह 3.46 अरब डॉलर था।
जैविक खाद्य उत्पादों के निर्यात में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है—
FY25 के अंत तक यह 665.96 मिलियन डॉलर (करीब 5,700 करोड़ रुपये) रहा, जो 2023-24 के 494.80 मिलियन डॉलर की तुलना में 35% अधिक है।
With inputs from IANS