वित्त वर्ष 2025-26 में भारत का निर्यात $1 ट्रिलियन तक पहुंचने की संभावना: FIEOBy Admin Tue, 27 May 2025 10:43 AM

नई दिल्ली: फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस (FIEO) ने मंगलवार को कहा कि भारत का कुल निर्यात चालू वित्त वर्ष 2025-26 के अंत तक $1 ट्रिलियन तक पहुंचने की संभावना है।

इस आंकड़े में लगभग $525-535 बिलियन का वस्तु (मर्चेंडाइज़) निर्यात शामिल होगा, जो पिछले वर्ष की तुलना में करीब 12% वृद्धि को दर्शाता है। वहीं, सेवाओं का निर्यात $465-475 बिलियन तक पहुंच सकता है, जिसमें लगभग 20% की वृद्धि अनुमानित है।

वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का कुल निर्यात $824.9 बिलियन पर पहुंच गया, जो पिछले वर्ष के $778.1 बिलियन के मुकाबले 6.01% की वृद्धि को दर्शाता है। इसमें सेवाओं का निर्यात 13.6% बढ़कर $387.5 बिलियन हो गया, जिसमें आईटी, व्यापार, वित्तीय और यात्रा सेवाओं ने प्रमुख भूमिका निभाई।

मर्चेंडाइज़ निर्यात $437.4 बिलियन रहा, जबकि गैर-पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात $374.1 बिलियन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6% अधिक है।

FIEO के अध्यक्ष एस.सी. रल्हन ने कहा कि इस सकारात्मक रुझान को बनाए रखने और निर्यात में सतत वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए कुछ रणनीतिक उपाय आवश्यक हैं।

उन्होंने सुझाव दिया कि नए उभरते बाजारों में विस्तार और मौजूदा व्यापारिक साझेदारों के साथ संबंध मजबूत करना, क्षेत्रीय निर्भरता को कम कर सकता है। साथ ही कच्चे माल के बजाय मूल्यवर्धित उत्पादों के निर्यात पर ध्यान केंद्रित करने से निर्यात से होने वाली आय बढ़ाई जा सकती है और वैश्विक बाजार में कीमतों के उतार-चढ़ाव का असर कम हो सकता है।

महत्वपूर्ण देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स (FTAs) पर बातचीत और उन्हें लागू करना भारतीय निर्यातकों को बेहतर बाजार पहुंच प्रदान कर सकता है। इसके अलावा, गुणवत्ता आधारित बुनियादी ढांचे में निवेश, लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना और अंतरराष्ट्रीय मानकों का अनुपालन निर्यात प्रतिस्पर्धा को मजबूत करेगा।

FIEO के अनुसार, लघु एवं मध्यम उद्यमों (SMEs) को वित्त और बाजार से जुड़ी जानकारी सुलभ कराकर उन्हें वैश्विक व्यापार में अधिक प्रभावी रूप से भाग लेने में मदद दी जा सकती है।

2025 में वैश्विक व्यापार पर संरक्षणवाद (protectionism) का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, जो पहले के उदारीकरण (liberalisation) के रुझानों से हटकर एक बड़ा परिवर्तन है। इसमें उच्च टैरिफ, गैर-टैरिफ बाधाएं (NTBs) और रणनीतिक व्यापार उपाय शामिल हैं, जो वैश्विक व्यापार और आर्थिक स्थिरता को प्रभावित कर रहे हैं।

FIEO ने यह भी कहा कि भारतीय निर्यातकों को अब अपने पूरे सप्लाई चेन की ट्रेसबिलिटी सुनिश्चित करनी होगी, जो आज भी टेक्सटाइल, चमड़ा और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे पारंपरिक क्षेत्रों में एक बड़ी कमी है।

FIEO ने सरकार से अनुरोध किया है कि क्षेत्र-विशिष्ट टास्क फोर्स का गठन किया जाए, जो ड्यू डिलिजेंस और प्रोडक्ट प्रोवेनेंस (DPP) आवश्यकताओं का अध्ययन करे, और अनुपालन के लिए एक राष्ट्रीय ढांचा या डिजिटल प्रणाली विकसित करे। साथ ही, MSMEs को ट्रेसबिलिटी और उत्पाद जीवनचक्र प्रबंधन प्रणाली अपनाने के लिए वित्तीय सहायता या अनुदान प्रदान करने की भी सिफारिश की गई है।

 

With inputs from IANS