छोटे शहरों की मांग बढ़ाएगी भारत का क्विक कॉमर्स बाजार, 2030 तक पहुंचेगा 57 अरब डॉलर तक: रिपोर्टBy Admin Wed, 04 June 2025 06:15 AM

नई दिल्ली – छोटे शहरों और कस्बों में ऑनलाइन ऑर्डर की बढ़ती मांग के चलते भारत का क्विक कॉमर्स (QC) बाजार 2030 तक 57 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। यह अनुमान एक नई रिपोर्ट में लगाया गया है।

मॉर्गन स्टेनली ने अपनी पहले की 42 अरब डॉलर की पूर्वानुमान राशि को संशोधित कर 57 अरब डॉलर कर दिया है, क्योंकि देश भर में क्विक कॉमर्स को तेजी से अपनाया जा रहा है। इस वैश्विक ब्रोकरेज फर्म ने भारत में क्विक कॉमर्स सेगमेंट के लिए FY26–28 के लिए ग्रॉस ऑर्डर वैल्यू (GOV) के अनुमान को भी 9–11 प्रतिशत तक बढ़ाया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि आगामी तिमाहियों में इस क्षेत्र के लिए मुख्य विकास कारक होंगे –

  • क्विक कॉमर्स GOV में लगातार वृद्धि,
  • फूड डिलीवरी मार्जिन में सुधार,
  • और प्रतिस्पर्धी माहौल में स्थिरता।
  • ब्लिंकिट, इंस्टामार्ट, ज़ेप्टो और फ्लिपकार्ट मिनिट्स जैसे क्विक कॉमर्स ऑपरेटर लगातार अपने नेटवर्क का विस्तार कर रहे हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, Eternal (पूर्व में Zomato) का क्विक कॉमर्स व्यवसाय तेजी से विकास के लिए तैयार है और मध्यम अवधि में लाभप्रदता की संभावना इसकी फूड डिलीवरी सेवाओं जैसी रहने की उम्मीद है।

ब्रोकरेज का मानना है कि Eternal, जो फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स दोनों में अग्रणी स्थान रखता है, लाभ के इस बढ़ते क्षेत्र में सबसे प्रमुख खिलाड़ी बनने की स्थिति में है।

KPMG Private Enterprise’s Venture Pulse की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक वेंचर कैपिटल (VC) निवेश 2023 में 43,320 सौदों में 349.4 अरब डॉलर से बढ़कर 2024 में 35,684 सौदों में 368.3 अरब डॉलर हो गया है। भारत में इस साल क्विक कॉमर्स निवेश का प्रमुख क्षेत्र बना हुआ है।

ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स की वैल्यू ग्रोथ पारंपरिक और मॉडर्न ट्रेड चैनलों की तुलना में 2–3 गुना अधिक तेजी से हुई है, जिससे पारंपरिक रिटेल नेटवर्क की जरूरत कम होती जा रही है।

Bain & Company की अप्रैल में आई रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल पेमेंट भी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, और 45% इंटरनेट यूज़र्स इन्हें लेन-देन के लिए अपना रहे हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार,
“प्राइवेट फाइनल कंजम्प्शन देश की अर्थव्यवस्था में एक उज्जवल पक्ष है, जिसे ई-कॉमर्स और क्यू-कॉमर्स चला रहे हैं। ऐसे में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना जरूरी है, न कि उसे सीमित करना।”

 

With inputs from IANS