मुंबई: फ्रांसीसी विमानन कंपनी डसॉल्ट एविएशन और भारत की टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) ने गुरुवार को चार महत्वपूर्ण उत्पादन हस्तांतरण समझौतों (Production Transfer Agreements) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत भारत में राफेल लड़ाकू विमान का फ्यूसेलाज (मुख्य ढांचा) बनाया जाएगा। यह भारत की एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं को मजबूत करने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भागीदारी बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
TASL हैदराबाद में एक अत्याधुनिक उत्पादन इकाई स्थापित करेगी, जहां राफेल विमान के महत्वपूर्ण ढांचागत हिस्से तैयार किए जाएंगे — जिनमें पिछले हिस्से के साइड शेल, पूरा पिछला सेक्शन, मध्य फ्यूसेलाज और आगे का भाग शामिल हैं।
उम्मीद है कि इस यूनिट से पहली बार फ्यूसेलाज सेक्शन वित्त वर्ष 2028 तक तैयार होकर निकलेंगे और यह यूनिट हर महीने दो पूर्ण फ्यूसेलाज का उत्पादन करने में सक्षम होगी।
डसॉल्ट एविएशन के चेयरमैन और सीईओ एरिक ट्रैपियर ने कहा,
“पहली बार राफेल का फ्यूसेलाज फ्रांस के बाहर निर्मित होगा। यह भारत में हमारी आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। हमारे भारतीय साझेदारों, विशेष रूप से TASL जैसी अग्रणी कंपनियों के सहयोग से, यह आपूर्ति श्रृंखला राफेल के उत्पादन में तेजी लाने में मदद करेगी और हमारी गुणवत्ता व प्रतिस्पर्धात्मकता की अपेक्षाओं को पूरा करेगी।”
यह साझेदारी भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजनाओं के प्रति डसॉल्ट एविएशन की गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड के सीईओ और प्रबंध निदेशक सुकरन सिंह ने कहा,
“यह साझेदारी भारत के एयरोस्पेस सफर में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। राफेल के पूरे फ्यूसेलाज का निर्माण भारत में होना यह दिखाता है कि डसॉल्ट एविएशन को टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स की क्षमताओं और इस सहयोग की मजबूती पर कितना भरोसा है।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह उपलब्धि इस बात का संकेत है कि भारत ने वैश्विक स्तर पर एक मजबूत और आधुनिक एयरोस्पेस निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystem) स्थापित करने में कितनी बड़ी प्रगति की है।
इस साल अप्रैल में भारत ने फ्रांस के साथ लगभग 63,000 करोड़ रुपये का एक बड़ा सौदा किया था, जिसके तहत भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमान खरीदे जाएंगे। यह कदम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के बीच नौसेना की शक्ति को और मजबूत करेगा।
यह खरीद सरकार-से-सरकार (Inter-Governmental Agreement) के तहत की जाएगी, जिसमें किसी बिचौलिए की आवश्यकता नहीं होगी। इस सौदे में 22 सिंगल-सीटर फाइटर जेट और 4 ट्विन-सीटर ट्रेनर जेट शामिल हैं, जिनकी डिलीवरी 2031 तक पूरी होने की उम्मीद है।
With inputs from IANS