श्वेता त्रिपाठी ने किया खुलासा – ‘मुझे व्यक्तिगत रूप से इंडिपेंडेंट फिल्में ज़्यादा पसंद हैं’By Admin Sun, 23 November 2025 08:01 AM

मुंबई- अभिनेत्री श्वेता त्रिपाठी ने बताया कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से इंडिपेंडेंट सिनेमा, कमर्शियल फिल्मों की तुलना में अधिक पसंद है।

आईएएनएस से खास बातचीत में श्वेता ने स्वीकार किया कि उनका इंडिपेंडेंट सिनेमा के प्रति हमेशा से एक सॉफ्ट कॉर्नर रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें फिल्म फेस्टिवल्स का हिस्सा बनना भी पसंद है क्योंकि वहां फिल्म निर्माण से जुड़े अलग-अलग लोगों—डायरेक्टर्स, प्रोड्यूसर्स, तकनीशियनों और कहानीकारों—से मिलने का मौका मिलता है।

भारत में इंडिपेंडेंट फिल्मों की स्थिति पर बात करते हुए 'मिर्जापुर' अभिनेत्री ने कहा,
“मेरा इंडिपेंडेंट सिनेमा के लिए एक खास लगाव है। जैसे कई लोग कमर्शियल फिल्में पसंद करते हैं, वैसे ही मुझे इंडिपेंडेंट फिल्में ज़्यादा अच्छी लगती हैं। फिल्ममेकिंग एक सहयोगी प्रक्रिया है; इसे अकेले नहीं किया जा सकता। फेस्टिवल्स में आप कई डायरेक्टर्स, प्रोड्यूसर्स, टेक्नीशियंस और स्टोरीटेलर्स से मिलते हैं, जो आपका समर्थन करते हैं और आपको आगे बढ़ने में मदद करते हैं।”

उन्होंने आगे कहा,
“इसीलिए हमारे लिए फेस्टिवल्स, हमारी संस्कृति, हमारी फिल्मों और उनसे जुड़े संवादों का जश्न मनाना ज़रूरी है। यहां सुबह से रात तक सिनेमाई बातचीत चलती रहती है—और मुझे यह बेहद पसंद है।”

ज़मीन से जुड़े पात्रों से लगाव
श्वेता अपनी भूमिकाओं में असल और जमीन से जुड़े किरदारों को निभाने के लिए जानी जाती हैं। ‘गॉन केस’ अभिनेत्री ने बताया कि उन्हें ऐसे साधारण लेकिन बहादुर लोगों के सपने, उनकी बोलचाल, सोचने का तरीका और उनकी जीवनशैली बेहद सुंदर लगती है।

उन्होंने कहा,
“जब मैं किसी किरदार पर काम करती हूँ, तो मैं लगातार सोचती रहती हूँ कि वे क्या महसूस कर रहे हैं—उनका भावनात्मक संसार क्या है, वे किन विचारों से गुजर रहे हैं।”

किरदार को समझने में बाहरी साधनों की मदद
अपनी तैयारी के बारे में बताते हुए श्वेता ने कहा,
“बाहरी टूल्स भी मदद करते हैं। उदाहरण के लिए—संगीत। हर किरदार के लिए मैं अलग प्लेलिस्ट बनाती हूँ, जिससे उनके भावनात्मक स्पेस में जाना आसान हो जाता है। यहाँ तक कि खुशबू भी मायने रखती है—हर किरदार की अपनी अलग फ्रेगरेंस होती है। पढ़ना भी कल्पनाशक्ति को मजबूत करता है, जो किरदार निर्माण में बहुत काम आता है। मेरा सुझाव है—सीखते रहिए, खोजते रहिए और प्रक्रिया का आनंद लीजिए।”

किरदार बनाते समय आंतरिक दुनिया की यात्रा
जब उनसे पूछा गया कि क्या वे कोई विशेष विधि अपनाती हैं, तो श्वेता ने बताया कि हर किरदार की प्रक्रिया अलग होती है, लेकिन संगीत और फ्रेगरेंस स्थायी साधन हैं।

उन्होंने कहा,
“मेकअप भी ज़रूरी है—ग्लैमरस दिखने के लिए नहीं, बल्कि इसलिए कि किरदार वास्तविक लगे। बाहरी साधन आपकी आंतरिक दुनिया को संतुलित करने में मदद करते हैं, और जब अंदर की सच्चाई मजबूत होती है तो वह बाहर भी साफ दिखती है।”

 

With inputs from IANS