मुंबई : अभिनेत्री मंजरी फडणीस ने तुर्की के बहिष्कार की बढ़ती मांगों पर एक स्पष्ट और भावनात्मक रुख अपनाया है। उन्होंने दो टूक कहा कि उनका पूरा समर्पण और निष्ठा केवल अपने देश के प्रति है।
जब उनसे उन देशों—जैसे तुर्की और अज़रबैजान—के बारे में पूछा गया, जो सार्वजनिक रूप से आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करते हैं, और क्या ऐसे देशों का यात्रा और व्यापार के माध्यम से बहिष्कार किया जाना चाहिए, तो मंजरी ने साफ कहा कि वे ऐसे किसी भी देश या व्यक्ति का समर्थन नहीं कर सकतीं जो भारत का विरोध करे या उसका अपमान करे। उनके लिए राष्ट्र के प्रति गर्व और निष्ठा सर्वोपरि है।
मंजरी फडणीस ने आईएएनएस से कहा,
"जो भी देश या व्यक्ति मेरे देश के खिलाफ खड़ा हो या उसका अपमान करे, मैं उसका समर्थन नहीं कर सकती। मेरी वफादारी हमेशा मेरे देश के साथ है।"
अभिनेत्री और गायिका मंजरी ने अपने गहरे देशभक्त भावों की जड़ें भी साझा कीं। उन्होंने बताया कि उनका पारिवारिक संबंध भारतीय सेना से है। उनके पिता सेना में सेवाएं दे चुके हैं और उनका पूरा बचपन सैन्य वातावरण में बीता।
उन्होंने कहा,
"मैं दिल से एक देशभक्त हूं। मैं एक आर्मी फैमिली से आती हूं—मेरे पिता सेना में थे। मेरा पूरा बचपन सेना के अधिकारियों के बीच बीता है। मैंने नज़दीक से देखा है कि भारतीय सेना कितनी समर्पित और अनुशासित होती है। इस अनुभव ने मेरे भीतर देश के प्रति गहरा भावनात्मक जुड़ाव पैदा किया है।"
जब उनसे यह पूछा गया कि कई लोग संकट की घड़ी में सोशल मीडिया पर देशभक्ति क्यों नहीं जताते, तो मंजरी ने कहा कि हर किसी की अभिव्यक्ति अलग होती है और ऑनलाइन पोस्ट न करने का यह मतलब नहीं है कि वे देश से जुड़े नहीं हैं।
उनके शब्दों में,
"मुझे नहीं लगता कि अगर कोई सोशल मीडिया पर कुछ नहीं कह रहा है, तो इसका मतलब है कि वह कुछ महसूस नहीं कर रहा। ऑपरेशन सिंदूर के जरिए जिस तरह से हमारे देश ने प्रतिक्रिया दी है, उस पर गर्व है। मुझे लगता है कि इस समय पूरा देश एकजुट होकर खड़ा हुआ है।"
गौरतलब है कि 8 मई को तुर्की और अज़रबैजान ने आधिकारिक रूप से पाकिस्तान का समर्थन किया था। तुर्की के विदेश मंत्रालय ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को उकसाने वाला कृत्य बताया, जबकि अज़रबैजान ने हमलों में कथित रूप से मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना जताई। इसके बाद भारतीय सोशल मीडिया पर तीव्र प्रतिक्रियाएं सामने आईं और तुर्की के बहिष्कार की मांग तेज हो गई।
(With inputs from IANS)