
मुंबई- अभिनेत्री रेजेना कसांद्रा, जो पीरियड स्ट्रीमिंग सीरीज़ ‘रॉकेट बॉयज़’ में अपने काम के लिए जानी जाती हैं, शोबिज़ में अपने 20 साल के सफर को याद कर रही हैं।
अभिनेत्री ने हाल ही में आईएएनएस से बातचीत की, जब उनकी आने वाली फ़िल्म ‘द वाइव्स’ तेजी से प्रोडक्शन के दौर में है।
अपने सफर पर विचार करते हुए, अभिनेत्री ने कहा, “मेरा सफर प्रेरणादायक और विनम्र करने वाला रहा है। मुझे अलग-अलग भाषाओं में कई रोचक और अलग अवसर मिले, जिसके लिए मैं खुद को धन्य मानती हूं। आज जब मैं अपने काम को देखती हूं तो मुस्कुराती हूं। यह आसान नहीं था, बिल्कुल भी नहीं। कई बार मुझे शक हुआ, लगा कि मैं अपनी और दूसरों की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर रही हूं। जब मैंने शुरुआत की थी तब मैं बच्ची ही थी। उस समय हालात बिल्कुल अलग थे।”
अभिनेत्री ने आगे बताया कि लंबे समय तक उन्हें लगा कि काश उनके पास कोई मेंटर होता। लेकिन फिर उन्होंने सबकुछ खुद ही सीख लिया।
उन्होंने कहा, “आज मैं इस अनुभव के लिए बेहद आभारी हूं। अपने काम और परिस्थितियों की वजह से ही मैं आज इस इंसान के रूप में विकसित हुई हूं। मैंने हमेशा एक चीज़ कायम रखी — मैं एक बहुमुखी अभिनेत्री बनना चाहती हूं। मुझे ‘गर्ल नेक्स्ट डोर’, मासूम किरदार, सनकी, नशे की लत वाली, बदचलन, लेस्बियन, सबकुछ निभाना था और अब भी है। मैं सबकुछ करना चाहती थी और आज भी चाहती हूं। किस्मत अच्छी रही कि मुझे किसी एक खांचे में फिट नहीं किया गया और उसी ने मुझे विकसित होने में मदद की।”
20 साल से भी ज्यादा लंबे अपने करियर में अभिनेत्री ने भारत की कई फिल्म इंडस्ट्रीज़ में काम किया है।
जब उनसे पूछा गया कि वह खुद को कैसे परिभाषित करती हैं, तो अभिनेत्री ने कहा, “पागलपन का भी एक तरीका होता है। आपको बस उसके साथ बहना होता है।”
उन्होंने आगे कहा, “यह भी प्रोजेक्ट और सेटअप पर निर्भर करता है कि माहौल अस्त-व्यस्त है या सहज। इसे सिर्फ भाषाई आधार पर बांटना सही नहीं होगा। हालांकि, दक्षिण भारतीय फिल्मकारों को जड़ों से जुड़ी कहानियां बनाना पसंद है। आपको ऐसी कहानियां वहां या अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों में ज्यादा मिलेंगी, हिंदी सिनेमा में कम। साथ ही मेरी राय में बॉलीवुड, अभिनेताओं से सितारे बनाता है। सबसे अच्छा यही है कि भारत की अलग-अलग इंडस्ट्रीज़ की तुलना न की जाए।”
With inputs from IANS