मुंबई — बहुप्रतीक्षित गुजराती ड्रामा फिल्म महारानी की अभिनेत्री मानसी पारेख और निर्देशक विरल शाह ने क्षेत्रीय सिनेमा की जमकर सराहना की और उसे बॉलीवुड की तुलना में अधिक प्रामाणिक बताया।
IANS से खास बातचीत में जब उनसे पूछा गया कि क्या "क्षेत्रीय सिनेमा की कहानियाँ बॉलीवुड से ज्यादा असली और जुड़ी हुई होती हैं?" तो विरल शाह ने जवाब दिया कि क्षेत्रीय सिनेमा में एक खास तरह की सच्चाई और गहराई होती है, क्योंकि ये फिल्मों की जड़ें उस खास इलाके की संस्कृति में होती हैं। इसके विपरीत, बॉलीवुड में दर्शकों का दायरा बड़ा होता है, इसलिए कई बार चीज़ों को सामान्य बनाया जाता है ताकि हर वर्ग के दर्शकों को समझ में आए।
निर्देशक विरल शाह ने कहा, "क्षेत्रीय फिल्में स्थानीय संस्कृति की बारीकियों को गहराई से दर्शा सकती हैं, जिससे कहानियाँ ज्यादा ताज़गी भरी और असली लगती हैं। वहीं बॉलीवुड को अक्सर सबको ध्यान में रखते हुए कुछ चीज़ों से समझौता करना पड़ता है।"
अपना दृष्टिकोण साझा करते हुए मानसी पारेख ने कहा, "क्षेत्रीय फिल्म निर्माता अपने दर्शकों के ज्यादा करीब होते हैं। वे स्थानीय भाषा, रीति-रिवाज़ों और संस्कृति को गहराई से समझते हैं। इसीलिए उनकी कहानियाँ अधिक सजीव और वास्तविक लगती हैं। बॉलीवुड में कभी-कभी उस जुड़ाव की कमी हो जाती है, क्योंकि वहाँ कहानी का फलक बहुत व्यापक होता है।"
विरल शाह ने यह भी बताया कि उन्हें 'महारानी' बनाने की प्रेरणा कहाँ से मिली।
उन्होंने कहा, "ये ख्याल तब आया जब मैंने महसूस किया कि हमारे घर की सहायिका (हाउस हेल्प) हमारे रोज़मर्रा के जीवन में कितनी ज़रूरी भूमिका निभाती हैं। जब वे समय पर नहीं आतीं, तो पूरा दिन अस्त-व्यस्त हो जाता है। ये एक छोटी-सी बात लगती है, लेकिन असल में बहुत बड़ा असर डालती है। यह एक आंखें खोलने वाला अनुभव था, और उसी समय मुझे इसमें हास्य भी दिखा। मैंने सोचा, ये वो बात है जिसे हम हल्के में ले लेते हैं, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। मुझे लगा, यह एक संदेश है जिसे साझा किया जाना चाहिए।"
महारानी में मानसी पारेख, श्रद्धा डांगर, ओजस रावल और संजय गोराडिया मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म 1 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने जा रही है।
With inputs from IANS