आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि : नौसेना में आज शामिल होंगी दो स्टेल्थ फ्रिगेट्सBy Admin Tue, 26 August 2025 06:50 AM

नई दिल्ली। भारतीय नौसेना आज मंगलवार को विशाखापत्तनम नौसैनिक अड्डे पर दो अत्याधुनिक स्टेल्थ फ्रिगेट्स – आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि को शामिल करने जा रही है। रक्षा मंत्रालय ने इसे देश की समुद्री शक्ति में एक महत्वपूर्ण पड़ाव बताया।

दोनों युद्धपोत 75% से अधिक स्वदेशी तकनीक से निर्मित हैं, जो सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को मजबूती देते हैं और रक्षा निर्माण में देश की आत्मनिर्भरता को प्रदर्शित करते हैं।

समारोह की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे। उन्होंने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा, “मैं अत्याधुनिक प्रोजेक्ट 17A मल्टी-मिशन स्टेल्थ फ्रिगेट्स उदयगिरि और हिमगिरि के कमीशनिंग समारोह में शामिल होऊंगा। यह पहली बार होगा जब दो फ्रंटलाइन सरफेस कॉम्बैटेंट्स, जो दो अलग-अलग शिपयार्ड्स में बने हैं, एक साथ कमीशन किए जाएंगे। यह भारत के पूर्वी समुद्री तट की बढ़ती सामरिक अहमियत को भी दर्शाता है।”

  • आईएनएस उदयगिरि का निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL), मुंबई ने किया है।

  • आईएनएस हिमगिरि का निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता ने किया है।

दोनों फ्रिगेट्स प्रोजेक्ट 17 (शिवालिक) क्लास का हिस्सा हैं, जिनमें डिज़ाइन, स्टेल्थ, हथियार और सेंसर सिस्टम में बड़े सुधार किए गए हैं। ये गहरे समुद्र में हर तरह के समुद्री मिशनों को पूरा करने में सक्षम हैं।

आधिकारिक बयान के मुताबिक, आईएनएस उदयगिरि को लॉन्चिंग के बाद सबसे तेज़ी से तैयार किया गया है, जो भारतीय शिपयार्ड्स द्वारा अपनाई गई मॉड्यूलर कंस्ट्रक्शन तकनीक का नतीजा है।

इन दोनों युद्धपोतों का नाम पहले की आईएनएस उदयगिरि (F35) और आईएनएस हिमगिरि (F34) के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 30 से अधिक वर्षों तक राष्ट्र की सेवा की और हाल ही में डिकमीशन किए गए।

दोनों फ्रिगेट्स का डिज़ाइन भारतीय नौसेना के वारशिप डिज़ाइन ब्यूरो (WDB) ने किया है। खास बात यह है कि उदयगिरि, WDB द्वारा डिज़ाइन किया गया 100वां युद्धपोत है, जो स्वदेशी डिज़ाइनिंग की पांच दशक लंबी यात्रा में एक अहम उपलब्धि है।

इनका कमीशनिंग नौसेना की युद्धक क्षमता को और बढ़ाएगा और यह भारत की स्वदेशी युद्धपोत निर्माण क्षमता को नए स्तर पर ले जाएगा। कमीशनिंग के बाद दोनों जहाज ईस्टर्न फ्लीट में शामिल होकर हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की समुद्री सुरक्षा को और मजबूत करेंगे।

 

With inputs from IANS