ग्रेट निकोबार आइलैंड प्रोजेक्ट क्षेत्र को बनाएगा बड़ा समुद्री हब: पीएम मोदी ने साझा किया लेखBy Admin Fri, 12 September 2025 10:35 AM

नई दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ग्रेट निकोबार आइलैंड प्रोजेक्ट पर एक लेख साझा किया और इसके महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह विशाल परियोजना हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक बढ़त दिलाने के साथ-साथ इसे समुद्री और हवाई कनेक्टिविटी का प्रमुख केंद्र बनाएगी।

हालांकि, इस महत्वाकांक्षी योजना की कांग्रेस ने कड़ी आलोचना की है और इसे क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन के लिए “बड़ा खतरा” बताया है।

प्रधानमंत्री ने इस परियोजना को रणनीतिक, रक्षा और राष्ट्रीय महत्व का बताते हुए कहा कि यह हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री और हवाई संपर्क का एक बड़ा हब बनाएगी।

पीएमओ ने एक्स पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा लिखे गए लेख को साझा करते हुए लिखा, “केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव बताते हैं कि ग्रेट निकोबार आइलैंड प्रोजेक्ट रणनीतिक, रक्षा और राष्ट्रीय महत्व का है, जो क्षेत्र को समुद्री और हवाई कनेक्टिविटी का बड़ा हब बना देगा। वे इसे अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी के परस्पर पूरक होने का प्रमुख उदाहरण बताते हैं।”

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने शुक्रवार को एक प्रमुख दैनिक में इस परियोजना के फायदों पर लेख लिखा और कहा कि मोदी सरकार की प्रतिबद्धता है कि अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी दोनों को साथ लेकर चला जाए।

एक्स पर पोस्ट करते हुए यादव ने लिखा, “ग्रेट निकोबार आइलैंड का विकास करने का फैसला इसके पारिस्थितिक, सामाजिक और रणनीतिक पहलुओं पर गहन विचार के बाद लिया गया है।”

उन्होंने जानकारी दी कि यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट एक इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट प्लान के तहत विकसित किया जा रहा है, जिसमें शामिल हैं –

  • 14.2 मिलियन टीईयू क्षमता वाला इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांस-शिपमेंट टर्मिनल (ICTT)

  • ग्रीनफील्ड अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा

  • 450 एमवीए गैस और सोलर आधारित पावर प्लांट

  • 16,610 हेक्टेयर में फैला एक आधुनिक टाउनशिप

यादव ने विपक्ष की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि यह परियोजना क्षेत्र की जनजातीय आबादी, किसी भी प्रजाति या पारिस्थितिक संवेदनशीलता के लिए खतरा नहीं बनेगी।

इसी सप्ताह कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने भी इस परियोजना पर एक लेख लिखा था और कहा था कि यह दुनिया की सबसे अनोखी जैव-विविधता और प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा है।

उन्होंने 72,000 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना को द्वीप के आदिवासी समुदायों के लिए “अस्तित्व का संकट” करार दिया।