
कुरनूल (आंध्र प्रदेश) — आंध्र प्रदेश के कुरनूल ज़िले में दशहरे के अवसर पर आयोजित देवरगट्टू बन्नी उत्सव के दौरान पारंपरिक डंडा युद्ध में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि 100 से अधिक लोग घायल हो गए।
गुरुवार देर रात होलगोंडा मंडल के देवरगट्टू गांव में आयोजित इस कार्यक्रम में हर साल की तरह दो समूहों ने एक-दूसरे पर डंडों से हमला किया। इस दौरान 18 लोग गंभीर रूप से घायल हुए जिन्हें अदोनी और अलूर के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। इनमें से पांच की हालत नाज़ुक बताई जा रही है। जिन लोगों को हल्की चोटें आईं, उनका इलाज प्रशासन द्वारा लगाए गए अस्थायी अस्पताल में किया गया।
सूत्रों के अनुसार, एक व्यक्ति की मौके पर ही चोटों से मौत हो गई, जबकि दूसरे की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई।
यह डंडा युद्ध परंपरागत रूप से माला मल्लेश्वर स्वामी मंदिर (एक पहाड़ी पर स्थित) में दशहरे पर आयोजित होता है। हर साल की तरह इस बार भी ग्रामीणों ने पुलिस के आदेशों की अवहेलना कर कार्यक्रम आयोजित किया।
परंपरा के अनुसार, देवता मल्लम्मा और मल्लेश्वर स्वामी की आधी रात को विवाह के बाद ग्रामीण दो गुटों में बंटकर डंडों से लड़ाई करते हैं, ताकि मूर्तियों पर कब्ज़ा किया जा सके। इस दौरान आसपास के गांवों जैसे नेरनी, नेरनी टांडा और कोठापेटा के ग्रामीण, अरकेरा, अलूरु, सुलुवाई, एल्लर्थी, निद्रावट्टी और बिलेहल गांवों के श्रद्धालुओं से भिड़ते हैं।
भले ही इस लड़ाई में कई लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं, लेकिन स्थानीय लोग इन्हें शुभ संकेत मानते हैं।
प्रशासन और पुलिस हर साल इस आयोजन को रोकने की कोशिश करते हैं और बड़ी संख्या में बल तैनात करते हैं, लेकिन ग्रामीण परंपरा का हवाला देकर आदेशों की अवहेलना करते हैं।
स्थानीय मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने भैरव रूप धारण कर दो राक्षसों मणि और मल्लासुर का वध डंडों से किया था। ग्रामीण विजयदशमी के दिन उसी घटना का मंचन करते हैं, जिसमें राक्षसों का पक्ष मूर्तियों को छीनने की कोशिश करता है और देवता का पक्ष उन्हें बचाता है।
इस अनूठी परंपरा को देखने के लिए हर साल कुरनूल और आसपास के ज़िलों के साथ-साथ तेलंगाना और कर्नाटक जैसे पड़ोसी राज्यों से भी हजारों लोग यहां जुटते हैं।
With inputs from IANS