
नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर इस सप्ताह मुंबई में मुलाकात करेंगे, जहां दोनों नेता द्विपक्षीय व्यापार और निवेश, प्रौद्योगिकी और नवाचार, रक्षा और सुरक्षा, जलवायु और ऊर्जा, स्वास्थ्य, शिक्षा और लोगों के बीच संबंधों के अलावा क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर 8 अक्टूबर को भारत पहुंचेंगे। 9 अक्टूबर को दोनों नेता मुंबई में आयोजित छठे ग्लोबल फिनटेक फेस्ट में भाग लेंगे और मुख्य भाषण देंगे।
दोनों प्रधानमंत्री भारत-यूके व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (CETA) के तहत उपलब्ध अवसरों पर उद्योग जगत और कारोबारी नेताओं के साथ बातचीत करेंगे, जिसे भविष्य की भारत-यूके आर्थिक साझेदारी का प्रमुख स्तंभ माना जा रहा है।
वे ‘विजन 2035’ के अनुरूप भारत-यूके व्यापक रणनीतिक साझेदारी के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा करेंगे — यह एक केंद्रित और समयबद्ध 10-वर्षीय रोडमैप है जिसमें कई कार्यक्रमों और पहलों का खाका तैयार किया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने 24 जुलाई 2025 को लंदन का दौरा किया था, जहां भारत और ब्रिटेन ने ऐतिहासिक व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (CETA), विजन 2035 दस्तावेज, और नई रक्षा औद्योगिक रोडमैप पर हस्ताक्षर किए थे।
CETA का उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है। ब्रिटेन ने भारत से आने वाले 99.1 प्रतिशत उत्पादों पर शून्य आयात शुल्क देने की पेशकश की है, साथ ही कुशल पेशेवरों की गतिशीलता और सेवा क्षेत्र में बाजार पहुंच को आसान बनाया गया है। इस समझौते का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करना और डिजिटल ट्रेड, सतत विकास तथा नवाचार के क्षेत्रों में सहयोग को प्रोत्साहित करना है।
इस समझौते के तहत भारत को ब्रिटेन में टेक्सटाइल्स, फुटवियर, रत्न एवं आभूषण, समुद्री उत्पाद और इंजीनियरिंग वस्तुओं के लिए बाजार पहुंच मिलेगी, वहीं भारतीय उपभोक्ताओं को ब्रिटेन निर्मित चिकित्सा उपकरण और एयरोस्पेस कंपोनेंट्स अधिक सुलभ और किफायती होंगे।
विजन 2035 के प्रमुख स्तंभों में भारत और ब्रिटेन में रोजगार और आर्थिक वृद्धि, शिक्षा और कौशल साझेदारी के माध्यम से अगली पीढ़ी की वैश्विक प्रतिभा को विकसित करना शामिल है। यह विजन अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और अनुसंधान के विकास पर भी केंद्रित है, जिसमें भविष्य की दूरसंचार तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्रिटिकल मिनरल्स, सेमीकंडक्टर, क्वांटम, बायोटेक्नोलॉजी और एडवांस्ड मटेरियल्स पर सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम किया जाएगा।
रक्षा और सुरक्षा सहयोग भी इस साझेदारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें इंडो-पैसिफिक क्षेत्र और उससे आगे शांति, सुरक्षा और समृद्धि को लेकर साझा प्रतिबद्धता पर बल दिया गया है। इसके अलावा, इसमें स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने, बड़े पैमाने पर जलवायु वित्त जुटाने और लचीलापन बढ़ाने पर केंद्रित जलवायु साझेदारी भी शामिल है।
भारत-यूके रक्षा औद्योगिक रोडमैप का उद्देश्य रक्षा उत्पादों के सह-डिजाइन, सह-विकास और सह-उत्पादन में सहयोग को बढ़ावा देना है, ताकि दोनों देशों की बढ़ती रक्षा जरूरतों को पूरा किया जा सके और वैश्विक बाजारों में भी प्रतिस्पर्धा की जा सके।
इस सहयोग में संयुक्त सैन्य अभ्यास, बंदरगाह यात्राएं, रक्षा तकनीकी सहयोग, “मेक इन इंडिया” को प्रोत्साहन, विशेषज्ञों के आदान-प्रदान, रक्षा शिक्षा और रक्षा खरीद जैसी कई गतिविधियां शामिल हैं।
नियमित द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास जैसे एक्सरसाइज कोकन 2023, कोबरा वॉरियर 2023, अजेय वॉरियर 2023 और तरंगशक्ति 2024 भी आयोजित किए जाएंगे।
With inputs from IANS