छत्तीसगढ़: आज बस्तर में 200 से अधिक माओवादियों का ऐतिहासिक आत्मसमर्पणBy Admin Fri, 17 October 2025 07:18 AM

रायपुर — छत्तीसगढ़ में दशकों से चल रहे नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में एक ऐतिहासिक क्षण आने वाला है। माड़ क्षेत्र के 200 से अधिक माओवादी आज मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के समक्ष जगदलपुर (बस्तर) में औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण करेंगे।

इनमें उत्तर-पश्चिम उप-क्षेत्रीय प्रभारी रूपेश भी शामिल हैं, जो माओवादी संगठन के वरिष्ठ नेताओं में से एक माने जाते हैं। उनका आत्मसमर्पण नक्सली संगठन की कमान संरचना को बड़ा झटका देगा।

रूपेश और उनके साथियों ने गुरुवार शाम बीजापुर पुलिस मुख्यालय में प्रारंभिक आत्मसमर्पण किया था। अंतिम औपचारिक कार्यक्रम आज रिजर्व पुलिस लाइन, जगदलपुर में आयोजित किया जाएगा, जो राज्य की एंटी-नक्सल मुहिम के लिए एक रणनीतिक और प्रतीकात्मक जीत मानी जा रही है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस अवसर को एक टर्निंग पॉइंट (मोड़) बताते हुए कहा,

“बस्तर की ताकत उसके लोगों की आत्मनिर्भरता, शिक्षा और गरिमा में है। इन्हीं मूल्यों पर आधारित शासन व्यवस्था अब दंतेवाड़ा के हृदय में उम्मीद और परिवर्तन लेकर आई है।”

यह सामूहिक आत्मसमर्पण एक बहुआयामी रणनीति का परिणाम है, जिसमें सुरक्षा अभियानों के साथ-साथ विकासात्मक योजनाओं को जोड़ा गया है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि हथियार उठाने वालों के प्रति कोई नरमी नहीं बरती जाएगी, और उनके समर्थकों पर भी सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने दोहराया कि

“भारत से नक्सलवाद को मार्च 2026 तक पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा।”

मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में राज्य सरकार न केवल सशस्त्र गतिविधियों को खत्म करने पर ध्यान दे रही है, बल्कि उन सामाजिक-आर्थिक कारणों को भी संबोधित कर रही है जो उग्रवाद को जन्म देते हैं।

शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, रोजगार और आजीविका से जुड़ी योजनाओं ने अब बस्तर के विकास की नई कहानी लिखनी शुरू कर दी है। इस सफलता का श्रेय पुलिस और अर्धसैनिक बलों की समन्वित कार्रवाई, स्थानीय प्रशासन की सक्रिय भूमिका, और आदिवासी समाज की बढ़ती जागरूकता को दिया जा रहा है।

आज का आत्मसमर्पण समारोह केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं है — यह सरकार की समावेशी शासन व्यवस्था और स्थायी शांति निर्माण की नीति की घोषणा है।

जैसे-जैसे बस्तर एक नई दिशा में कदम बढ़ा रहा है, इन पूर्व उग्रवादियों का समाज में पुनर्वास यह संदेश देता है कि “बदलाव संभव है — जब भरोसा, विकास और संवाद साथ हों।”

 

With inputs from IANS