
अहमदाबाद — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार तब तक चैन से नहीं बैठेगी जब तक देश से नक्सल-माओवादी आतंक का पूर्ण उन्मूलन नहीं हो जाता।
यह संबोधन एकता नगर में आयोजित भव्य समारोह के दौरान हुआ, जहां ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के मौके पर देशभर में लाखों नागरिकों ने एकता की शपथ ली और राष्ट्रीय अखंडता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
सरदार पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें “एकीकृत भारत के शिल्पकार” बताया और कहा,
“भारत माता की भक्ति हर नागरिक के लिए सर्वोच्च पूजा है।”
प्रधानमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार देश की एकता को मजबूत करने के लिए चार स्तंभों — सांस्कृतिक एकता, भाषाई सद्भाव, समावेशी विकास और राष्ट्रीय संपर्कता — पर निरंतर कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा,
“एकता ही राष्ट्र की शक्ति का आधार है। जब तक समाज में एकता बनी रहती है, तब तक राष्ट्र की अखंडता सुरक्षित रहती है। ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को पाने के लिए, देश को बांटने वाली हर साजिश को एकता की ताकत से नाकाम करना होगा।”
सरदार पटेल के एकीकृत भारत के सपने को आज की विकास यात्रा से जोड़ते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले दस वर्षों में 25 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी से बाहर निकाला, जो लौहपुरुष के उस स्वप्न की पूर्ति है जिसमें भारत अभाव और असमानता से मुक्त हो।
उन्होंने कहा कि आज भारत में “दिलों और ढांचों दोनों की कनेक्टिविटी” हो रही है — राजमार्गों, एक्सप्रेसवे, रेलवे और एयरपोर्ट के माध्यम से देश के हर कोने को जोड़ा जा रहा है।
कश्मीर के संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,
“अगर सरदार पटेल की सलाह मानी गई होती, तो कश्मीर शुरू से ही भारत का अविभाज्य हिस्सा होता।”
उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों की कमजोर और अल्पदृष्टि नीतियों के कारण देश को आतंकवाद और अलगाववाद झेलना पड़ा, जबकि उनकी सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाकर उन ऐतिहासिक गलतियों को सुधार दिया।
ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा,
“इसने साबित कर दिया कि अगर कोई भारत को चुनौती देने की हिम्मत करेगा, तो हम हर बार और भी अधिक शक्ति और संकल्प के साथ जवाब देंगे।”
प्रधानमंत्री ने दावा किया कि नक्सल-माओवादी आतंक का सफाया पिछले 11 वर्षों में सरकार की सबसे बड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा उपलब्धियों में से एक है।
उन्होंने कहा,
“2014 से पहले नक्सली कई इलाकों में अपनी सत्ता चलाते थे। वे स्कूलों, अस्पतालों और इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमला करते थे। लेकिन आज सरकार ने उनकी कमर तोड़ दी है, उनकी विचारधारा को परास्त किया है और प्रभावित क्षेत्रों को मुक्त कराया है।”
एकता नगर से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा,
“जब तक नक्सल-माओवादी आतंक का अंतिम निशान मिट नहीं जाता, यह सरकार रुकेगी नहीं।”
प्रधानमंत्री ने अवैध घुसपैठियों को लेकर भी चिंता व्यक्त की और उन्हें “आंतरिक सुरक्षा के गंभीर खतरे” बताया, जो देश की जनसांख्यिकी को बिगाड़ते हैं और राष्ट्रीय संसाधनों का दोहन करते हैं।
उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने वोट बैंक की राजनीति के कारण इस मुद्दे को नजरअंदाज किया, लेकिन अब भारत ने ‘डेमोग्राफी मिशन’ के तहत एक “निर्णायक रुख” अपनाया है।
प्रधानमंत्री ने उन लोगों की आलोचना की “जो राष्ट्रहित से ऊपर स्वार्थ को रखते हैं” और ऐसे घुसपैठियों का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा,
“वे लोग सत्ता के लिए फिर से देश को बांटने को तैयार हैं।”
मोदी ने आह्वान किया,
“इस राष्ट्रीय एकता दिवस पर हम यह संकल्प लें कि भारत की एकता और संप्रभुता की रक्षा के लिए हर घुसपैठिए को देश से बाहर करेंगे।”
अपने संबोधन के समापन पर प्रधानमंत्री ने कहा,
“जब 140 करोड़ भारतीय एक साथ उठ खड़े होते हैं, तो पहाड़ भी रास्ता छोड़ देते हैं। जब भारत एक स्वर में बोलता है, तो वह सफलता की गूंज बन जाती है। हम कभी बंटेंगे नहीं, कभी कमजोर नहीं पड़ेंगे — एकजुट होकर हम एक सशक्त, विकसित और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करेंगे।”
With inputs from IANS