
नई दिल्ली — सुप्रीम कोर्ट द्वारा सार्वजनिक स्थानों से आवारा कुत्तों के खतरे को रोकने और राजमार्गों से आवारा मवेशियों तथा अन्य पशुओं को हटाने के लिए नए निर्देश जारी किए जाने के बाद, शीर्ष अदालत के कई वकीलों ने शुक्रवार को कहा कि “11 अगस्त का आदेश फिर से वापस आ गया है।” उन्होंने इस आदेश को “कठोर” और “चिंताजनक” बताया।
सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता नमिता शर्मा ने आईएएनएस से कहा,
“11 अगस्त का आदेश फिर आ गया है। यह लगभग वैसा ही है, बस कुछ मामूली बदलाव किए गए हैं। अब अस्पतालों, स्कूलों, बस अड्डों सहित सभी संस्थानों से आवारा कुत्तों को हटाया जाएगा और उन्हें कहीं और भेजा जाएगा। अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है कि ये कुत्ते वापस न आएं। आदेश कठोर है, लेकिन फिर भी मुझे थोड़ी उम्मीद है।”
वकील विवेक शर्मा ने कहा,
“आखिरकार परिणाम यही है कि इन बेजुबानों को हटा दिया जाएगा। गोवा अदालत ने हाल ही में कहा था कि सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार तीन वर्षों में केवल 372 डॉग बाइट दर्ज हुए, जबकि वास्तविक आंकड़ा 37,387 था। आज का आदेश पुराने आदेश की पुनरावृत्ति जैसा है, वह भी बिना याचिकाकर्ताओं को सुने। सरकार के लिए इतने शेल्टर होम बनाना संभव नहीं है। बस यही उम्मीद है कि न्यायाधीशों और हम सभी में विवेक जागे, क्योंकि जानवर बोल नहीं सकते।”
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सुनील लांबा ने कहा,
“सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर मौजूद सभी आवारा कुत्तों और मवेशियों को तुरंत हटाया जाए। इसकी जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग (PWD) और नगर निगमों पर डाली गई है, जिन्हें आठ सप्ताह के भीतर कार्रवाई करनी होगी। अदालत ने यह भी कहा है कि नोडल अधिकारी इसके क्रियान्वयन के लिए जवाबदेह होंगे।”
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजरिया की पीठ ने सुओ मोटू मामले की सुनवाई के दौरान आदेश दिया कि देशभर के शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, खेल परिसरों, बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों को इस तरह घेरा जाए कि आवारा कुत्तों का प्रवेश न हो सके।
पीठ ने नगर निगमों को नियमित अभियान चलाने, इन स्थलों से कुत्तों को पकड़ने और पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम, 2023 के तहत टीकाकरण व नसबंदी के बाद निर्धारित शेल्टरों में स्थानांतरित करने के निर्देश दिए।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि हटाए गए कुत्ते दोबारा उसी जगह पर नहीं लौटने चाहिए। इसके लिए नियमित निरीक्षण किए जाएंगे ताकि किसी भी परिसर में आवारा पशुओं का नया ठिकाना न बन सके।
इसके अलावा, अदालत ने सभी राजमार्गों से आवारा मवेशियों और अन्य जानवरों को तत्काल हटाने और उन्हें निर्धारित गौशालाओं या आश्रयों में भेजने का आदेश दिया।
पीठ ने निर्देश दिया,
“सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव सुनिश्चित करें कि आदेश का कड़ाई से पालन हो, अन्यथा संबंधित अधिकारी व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे।” अदालत ने आठ सप्ताह के भीतर अनुपालन रिपोर्ट पेश करने को भी कहा है।
गौरतलब है कि 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने अपने 11 अगस्त के निर्देशों में संशोधन करते हुए कहा था कि पकड़े गए कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण और डिवार्मिंग के बाद उन्हें उसी स्थान पर छोड़ा जाए, जहाँ से उन्हें पकड़ा गया था — सिवाय उन कुत्तों के जो रेबीज से पीड़ित हों, संदिग्ध हों या आक्रामक व्यवहार दिखा रहे हों। अदालत ने तब सड़कों पर सार्वजनिक भोजन वितरण पर रोक लगाते हुए निर्धारित फीडिंग पॉइंट्स बनाने और आवारा कुत्तों के प्रबंधन पर एकसमान राष्ट्रीय नीति की आवश्यकता पर बल दिया था।
With inputs from IANS