पहले चरण में रिकॉर्ड मतदान में प्रवासी मतदाताओं की बड़ी भूमिका मानी जा रही हैBy Admin Fri, 07 November 2025 10:12 AM

नई दिल्ली — बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में गुरुवार को हुए 64.66 प्रतिशत के रिकॉर्ड मतदान में महिलाओं की बड़ी भागीदारी के साथ-साथ प्रवासी मतदाताओं की वापसी को भी एक प्रमुख कारण माना जा रहा है।

आमतौर पर व्यापारिक प्रतिष्ठानों, निर्माण स्थलों या कृषि श्रमिक के रूप में काम करने वाले ये प्रवासी मजदूर हर साल छठ पूजा जैसे त्योहारों के दौरान अपने घर लौटते हैं।

छठ मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में मनाया जाने वाला पर्व है, जिसमें सूर्य देव और छठी मइया की पूजा जीवन के संरक्षण और परिवार की समृद्धि के लिए की जाती है।

इस वर्ष, चुनाव आयोग द्वारा बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान ने भी बड़ी संख्या में प्रवासियों को अपने गृह जिलों में लौटने के लिए प्रेरित किया।

राजनीतिक हलकों में यह चर्चा रही कि इस पुनरीक्षण को नागरिकता से जोड़ने वाली कुछ अफवाहों के कारण भी कई मजदूर अपने परिवारों के साथ त्योहार मनाने और मतदान करने लौटे।

बिहार की जाति आधारित सर्वे रिपोर्ट (2022–23) के अनुसार, राज्य के करीब 2.7 करोड़ लोग राज्य से बाहर रहते हैं। जबकि जनगणना 2011 में यह आंकड़ा 74.5 लाख दर्ज किया गया था।

कुछ अपुष्ट रिपोर्टें यह संख्या 1 से 3 करोड़ के बीच बताती हैं। विपक्षी दल इन आंकड़ों को लेकर नीतीश कुमार सरकार पर सवाल उठाते रहे हैं, यह कहते हुए कि प्रवास की बड़ी संख्या “सुशासन” और “विकास” के दावों पर सवाल उठाती है।

हालांकि, यह स्पष्ट आंकड़ा उपलब्ध नहीं है कि इस वर्ष अक्टूबर-नवंबर में कितने प्रवासी मतदान के लिए लौटे, लेकिन स्थानीय अनुमानों के मुताबिक यह संख्या “लाखों में” है।

चुनाव आयोग के अनुसार, 21.53 लाख नए मतदाता प्रारंभिक मतदाता सूची में जोड़े गए हैं, जिनमें से सभी प्रवासी नहीं हैं।

जनगणना 2011 के मुताबिक, देशभर में 4.1 करोड़ अंतरराज्यीय प्रवासी मजदूर हैं। वहीं, श्रम शक्ति सर्वेक्षण 2020–21 की रिपोर्ट के अनुसार, कुल प्रवासियों में से 10.8 प्रतिशत रोजगार के कारण अपने गृह राज्यों से बाहर गए थे।

राजनीतिक रूप से, इन प्रवासी मतदाताओं ने किसी एक दल के पक्ष में एकजुट होकर मतदान नहीं किया होगा। उनके निर्णय जाति, समुदाय, उम्मीदवार के प्रदर्शन और स्थानीय मुद्दों पर निर्भर रहे होंगे। इसलिए उनका रुझान राजग (एनडीए), महागठबंधन, या जन सुराज पार्टी जैसे विकल्पों के बीच विभाजित हो सकता है।

फिलहाल, रोजगार और विकास से जुड़े वादे ही आगामी चरणों में मतदाताओं के रुझान को तय करेंगे।

चुनाव आयोग ने बताया कि पहले चरण का 64.66 प्रतिशत मतदान बिहार के चुनावी इतिहास में अब तक का सबसे अधिक है। इससे पहले, साल 2000 के विधानसभा चुनाव में 62.57 प्रतिशत, जबकि 1998 के लोकसभा चुनाव में 64.6 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ था।

गुरुवार को 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर 3.75 करोड़ से अधिक मतदाता वोट डाल चुके हैं। शेष 20 जिलों की 122 सीटों पर मतदान 11 नवंबर को होगा, जबकि गिनती 14 नवंबर को की जाएगी।

 

With inputs from IANS