
नई दिल्ली — दिल्ली कार ब्लास्ट की जांच कर रही एजेंसियों को पता चला है कि जैश-ए-मोहम्मद (JeM) से जुड़े फरीदाबाद मॉड्यूल ने देशभर में सिलसिलेवार धमाकों की योजना बनाई थी, लेकिन उनका पहला और प्रमुख निशाना शुरू से ही दिल्ली था।
सूत्रों के अनुसार, दिल्ली को इसलिए चुना गया ताकि सुरक्षा एजेंसियों को एक सशक्त संदेश दिया जा सके और यह दिखाया जा सके कि जैश अब भी राजधानी में हमला करने की क्षमता रखता है।
जांचकर्ताओं का कहना है कि इस तरह के हमले आतंकवादी संगठनों को न सिर्फ प्रचार दिलाते हैं, बल्कि यह भर्ती अभियान (Recruitment Tool) के तौर पर भी इस्तेमाल किए जाते हैं।
हालांकि धमाके में आठ लोगों की मौत हुई, अधिकारियों के मुताबिक, यह समूह इस तरह के परिणाम की अपेक्षा नहीं कर रहा था।
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि आत्मघाती हमलावर को विस्फोटक से भरी कार को लाल किला क्षेत्र में टकराने का निर्देश दिया गया था। लेकिन फरीदाबाद मॉड्यूल के भंडाफोड़ के बाद वह घबरा गया और ट्रैफिक में ही कार को उड़ा दिया।
अधिकारियों का कहना है कि यह हमला पिछले चार से पांच महीनों से बारीकी से योजनाबद्ध किया गया था। हालांकि, मॉड्यूल अचानक नहीं बना — डॉक्टरों का कट्टरपंथीकरण (radicalisation) लंबे समय से जारी था।
दिलचस्प बात यह है कि कट्टरपंथ फैलाने वाला विंग जम्मू-कश्मीर में नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश में सक्रिय था। यह रणनीतिक निर्णय था, क्योंकि आतंक-रोधी एजेंसियों की निगरानी कश्मीर में पहले से ही बेहद सख्त है।
जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी अफगानिस्तान स्थित अपने हैंडलर्स के संपर्क में थे। ये हैंडलर्स 2021 से वहां सक्रिय जैश-ए-मोहम्मद की शाखा से जुड़े हुए हैं।
JeM ने इस मॉड्यूल में उच्च शिक्षित व्यक्तियों, विशेष रूप से डॉक्टरों, को शामिल करने की रणनीति अपनाई थी। एजेंसियों का मानना है कि ऐसे लोग सुरक्षा रडार पर कम आते हैं और तकनीकी रूप से अधिक योगदान दे सकते हैं।
गिरफ्तार की गई डॉ. शाहीन सईद इस मॉड्यूल का अहम हिस्सा थीं। वह कई बार जम्मू-कश्मीर गईं, जहां उन्होंने मौलवी इरफान अहमद से मुलाकात की। इन्हीं के माध्यम से अन्य सदस्यों की भर्ती की गई। शाहीन ने अपने चिकित्सक पेशे का इस्तेमाल सुरक्षा एजेंसियों की नज़रों से बचने के लिए किया।
अधिकारियों ने बताया कि शिक्षित और समझदार व्यक्तियों की भागीदारी न केवल मॉड्यूल को छिपाने में मदद करती है, बल्कि वे कट्टरपंथ फैलाने और युवाओं को आकर्षित करने में अधिक सक्षम होते हैं।
इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों ने कहा कि यह मॉड्यूल देश के प्रमुख शहरों को निशाना बनाने की योजना बना रहा था, लेकिन दिल्ली को इसलिए प्राथमिकता दी गई क्योंकि यह देश की राजधानी है और यहां हमला राष्ट्रीय स्तर पर भय और संदेश दोनों फैलाता है।
पुलिस अब उन अन्य वाहनों की तलाश कर रही है जिन्हें आरोपियों ने कथित रूप से विस्फोटक हमलों के लिए खरीदा था। अधिकारियों का मानना है कि इन वाहनों का इस्तेमाल देश के अन्य हिस्सों में इसी तरह के हमलों के लिए किया जाना था।
जांच में यह भी सामने आया है कि मूल योजना दीवाली के दौरान बम विस्फोट करने की थी, लेकिन उस समय सुरक्षा के कड़े इंतजामों के चलते योजना को रद्द कर दिया गया।
इसके बाद, आरोपियों ने 26 जनवरी को लाल किले के पास हमला करने की नई योजना बनाई थी। लेकिन फरीदाबाद मॉड्यूल के उजागर होने के बाद हमलावर उमर नबी घबरा गया और समय से पहले ही कार में विस्फोट कर दिया।
With inputs from IANS