
नई दिल्ली- कांग्रेस पार्टी के भीतर असंतोष गहराता दिख रहा है। युवा सांसदों की बढ़ती नाराज़गी अब पार्टी में बड़े विभाजन का रूप ले सकती है।
इस असंतोष का केंद्र विपक्ष के नेता राहुल गांधी की लगातार अपनाई जा रही संसद में व्यवधान की रणनीति है, जिसे युवा नेता अपने लिए नुकसानदायक और करियर रोक देने वाली मान रहे हैं।
यह खदबदाहट मई 2025 के एक बेबाक पॉडकास्ट इंटरव्यू में सामने आई, जिसमें केरल से राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने पार्टी के भीतर हो रहे निर्देशों का खुलासा किया। ब्रिटास ने बताया कि राहुल गांधी ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया था कि सांसद “संसद में व्यवधान पैदा करें” और सार्थक बहसों में हिस्सा न लें।
ब्रिटास ने कहा, “राहुल गांधी ने हमें संसद बाधित करने को कहा और बोलने से रोका।” यह टिप्पणी युवा सांसदों में पनप रही निराशा को सीधा प्रतिबिंबित करती है।
मीडिया में अपनी स्पष्ट राय रखने के लिए पहचाने जाने वाले ब्रिटास ने राहुल और प्रियंका गांधी के साथ अपने अनुभवों पर भी खुलकर बात की। जब उनसे नेतृत्व पर राय पूछी गई तो उन्होंने कहा, “दोनों अपनी-अपनी तरह से समझदार हैं। सच कहूं तो मैंने उनकी तुलना नहीं की है।”
लेकिन निजी संबंधों पर उन्होंने साफ कहा, “मैं उनसे मिलता हूं, पर मुझे नहीं पता… वह मेरे प्रति बहुत गर्मजोशी नहीं दिखाते।” इसका कारण उन्होंने एक पार्टी बैठक में की गई अपनी हल्की आलोचना को बताया, जहां उन्होंने रोज़ाना व्यवधान की बजाय नए और नवाचारी विरोध के तरीकों पर जोर देने की बात रखी थी।
उन्होंने कहा, “मैंने कहा था कि रोज़ाना संसद बाधित करना ठीक नहीं है। नए तरीके अपनाने चाहिए… नवाचारी विरोध।”
ब्रिटास के अनुसार, राहुल इस टिप्पणी से नाराज़ हो गए, जिसके बाद दोनों के बीच दूरी बढ़ गई। इसका असर संसद में भी दिखा—क्वेश्चन आवर और ज़ीरो आवर में बाधा, बहसें ठप, और माहौल अस्त-व्यस्त। ब्रिटास मानते हैं कि इसका सीधा फायदा सरकार को मिलता है।
उन्होंने कहा, “इससे सरकार को ही मदद मिलती है।”
जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें पार्टी में समर्थन मिल रहा है, तो उन्होंने कहा, “कई लोग मेरा समर्थन कर रहे हैं… थोड़ा-बहुत।” राहुल की प्रतिक्रिया पर उनका जवाब था, “मुझे नहीं पता। वह हमारी मीटिंग का राज़ है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस अंदरूनी तनाव को अपने हालिया भाषणों में मुद्दा बनाया है।
पीएम मोदी ने कहा था, “जब हम युवा कांग्रेस सांसदों या इंडिया गठबंधन के सदस्यों से मिलते हैं तो वे कहते हैं, ‘सर, हम क्या करें? हमारा करियर खत्म हो रहा है। हमें बोलने का मौका ही नहीं मिलता क्योंकि ये लोग हर बार कहते हैं—संसद बंद कर दो।’”
बिहार चुनाव परिणामों के बाद अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कांग्रेस में विभाजन की भी भविष्यवाणी की थी।
शीतकालीन सत्र निकट है और कांग्रेस के कई युवा सांसद—जो पहली बार संसद पहुंचे हैं—इस बात से चिंतित हैं कि लगातार शोर-शराबे और व्यवधान के चलते उनका राजनीतिक भविष्य कहीं खो न जाए।
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के अंदर युवा नेताओं के अनौपचारिक समूह बन रहे हैं, जो चुपचाप विद्रोह से लेकर खुले तौर पर पार्टी छोड़ने तक के विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बीच यह आंतरिक ‘विद्रोह’ पार्टी की एकता को और कमजोर कर सकता है—और भाजपा को मजबूत बढ़त दे सकता है।
एक उभरते विपक्ष के लिए संदेश स्पष्ट है—
संसद में व्यवधान शायद पार्टी के समर्थकों को उत्साहित करेगा, लेकिन इससे उन युवाओं का भविष्य खतरे में पड़ सकता है, जिन पर पार्टी की अगली पीढ़ी टिकी है।
With inputs from IANS