जांच में बड़ा खुलासा — उत्तर भारत में 200 समन्वित धमाकों की साजिश, जैश-ए-मोहम्मद लिंक की पुष्टिBy Admin Fri, 21 November 2025 06:48 AM

नई दिल्ली। 10 नवंबर को दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के पास हुए धमाके की जांच में सुरक्षा एजेंसियों को बड़ा सुराग मिला है। जांच में यह पुष्टि हुई है कि इस घटना का संबंध आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) से है।

पुलिस के अनुसार, आरोपियों को बम बनाने की ट्रेनिंग एक जैश-ए-मोहम्मद के ऑपरेटिव हंजुल्ला ने दी थी। यह भी सामने आया है कि आरोपी पूरे उत्तर भारत में 200 बम धमाकों को एक साथ अंजाम देने की तैयारी कर रहे थे।

ISI–JeM मिलकर बना रहे थे “लाल मंडल” साजिश

जांच से पता चला है कि आईएसआई ने ही हंजुल्ला को फरीदाबाद मॉड्यूल को ट्रेनिंग देने के लिए चुना था। हंजुल्ला लगातार कुंजी आरोपी मौलवी ईरान अहमद के संपर्क में था, जिसने ही उसे मॉड्यूल के सदस्यों से जोड़ा।

एक अधिकारी के मुताबिक, हंजुल्ला जैश-ए-मोहम्मद का बड़ा नाम है। जम्मू-कश्मीर में हाल ही में मिले जेईएम पोस्टरों पर “कमांडर हंजुल्ला भाई” लिखा था, जिससे जांच की दिशा तय हुई और इसी के बाद फरीदाबाद मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ, जिसमें 2,900 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया गया।

200 विस्फोट—TATP से बने “घातक बम”

मॉड्यूल 200 बम तैयार कर रहा था, जिनमें TATP और अमोनियम नाइट्रेट का मिश्रण था—यह अत्यधिक खतरनाक और आसानी से विस्फोट होने वाला पदार्थ है। TATP का इस्तेमाल इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (ISKP) भी करता है, क्योंकि यह कम तकनीकी ज्ञान से बनाया जा सकता है और गर्मी से स्वतः विस्फोट हो सकता है।

ऐसा विस्फोटक किसी वाहन में रखकर भीड़भाड़ वाली जगह छोड़ा जा सकता है और यह अपने-आप सक्रिय हो सकता है।

लाल किले के पास धमाके में इस्तेमाल हुई कार

जांच के अनुसार, शकील वह व्यक्ति था जिसने

  • विस्फोटक सामग्री की ढुलाई की

  • और वही सफेद Hyundai i20 कार भी दी, जिसका इस्तेमाल लाल किले के पास धमाका करने में हुआ।

दिल्ली–गुरुग्राम–फरीदाबाद को निशाना बनाने की योजना

जांच में यह भी सामने आया है कि फरीदाबाद मॉड्यूल का प्लान था कि दिल्ली, गुरुग्राम और फरीदाबाद में एक साथ 200 धमाके किए जाएं।

अधिकारियों के अनुसार, “अगर यह योजना सफल हो जाती, तो परिणाम अकल्पनीय होते।”

कोडवर्ड, सुरक्षित चैटिंग और “व्हाइट कॉलर” मॉड्यूल

आरोपी लंबे समय से सुरक्षित मैसेजिंग ऐप्स और कोड भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे।

  • एक कोडवर्ड “बिरयानी” था, जिसका मतलब था—विस्फोटक।

  • मॉड्यूल का अधिकांश हिस्सा डॉक्टरों का था, इसलिए वे आसानी से सुरक्षा एजेंसियों की नजरों से बचते रहे।

मुख्य भर्तीकर्ता डॉ. शाहीन कई बार कश्मीर गईं और अहमद से मिलीं, मगर पेशा डॉक्टर होने के कारण वह शक के घेरे में नहीं आईं।

हंजुल्ला की तलाश जारी

जांच एजेंसियां अब हंजुल्ला को ट्रैक कर रही हैं। फरीदाबाद मॉड्यूल को एक तरफ अहमद कश्मीर से और दूसरी तरफ अफगानिस्तान से एक अन्य हैंडलर संचालित कर रहा था।

 

With inputs from IANS