लाल किला विस्फोट जांच: ISI का फैसल इकबाल बना मुख्य सूत्रधार, पाकिस्तान की भूमिका संदेह के घेरे मेंBy Admin Mon, 24 November 2025 07:13 AM

दिल्ली के लाल किले के पास हुए विस्फोट की जांच पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) की सीधी भूमिका पर तेजी से केंद्रित हो रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, इतनी बड़ी साजिश—जिसमें फरीदाबाद मॉड्यूल की स्थापना भी शामिल थी—बिना संस्थागत समर्थन के संभव नहीं थी। अब यह स्थापित हो चुका है कि फैसल इकबाल नाम का व्यक्ति इस मॉड्यूल को खड़ा करने में प्रमुख भूमिका में था। खुफिया ब्यूरो के एक अधिकारी का कहना है कि इकबाल ISI का ऑपरेटिव है, जिसे विशेष रूप से इस मॉड्यूल को स्थापित करने और लगभग 200 धमाकों की योजना वाले ऑपरेशन को संचालित करने के लिए नियुक्त किया गया था।

एजेंसियां अब तक यह पता नहीं कर पाई हैं कि फैसल इकबाल पाकिस्तान से काम कर रहा था या अफगानिस्तान से। ISI की योजना थी कि पूरा ऑपरेशन पाकिस्तान की भूमि से बाहर संचालित किया जाए ताकि कोई सीधा सबूत उन तक न पहुंच सके। जांच के दौरान, एजेंसियां मॉड्यूल सदस्यों और उनके हैंडलरों के बीच हुए चैट संदेशों का विश्लेषण कर रही हैं।

जांच में पता चला है कि इस मामले के पीछे कुल तीन हैंडलर सक्रिय थे। सभी की जिम्मेदारियां अलग थीं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण भूमिका ISI अधिकारी फैसल इकबाल की थी। अधिकारियों के अनुसार, इकबाल ने ही आरोपियों को टेलीग्राम चैनल कैसे बनाना है, कैसे गुप्त रूप से काम करना है, और मॉड्यूल की संरचना कैसे तैयार करनी है—इन सब पर विस्तृत निर्देश दिए।

अधिकारियों का संदेह है कि मॉड्यूल की तैयारी 2019 से शुरू हो चुकी थी। 2021 में इसकी रूपरेखा आकार लेने लगी और 2023 तक यह पूरी तरह सक्रिय हो चुका था। एक अन्य अधिकारी के अनुसार, मॉड्यूल का इतनी सटीकता से काम करना और सुरक्षा एजेंसियों की नजरों से लंबे समय तक बचा रहना इस बात का संकेत है कि किसी उच्च-स्तरीय ISI अधिकारी की इसमें सीधी भूमिका थी।

इस ऑपरेशन की शैली मुंबई 26/11 हमले जैसी थी, जिसमें योजना और अंतिम निष्पादन को अत्यंत गोपनीय रखा गया था। इस ऑपरेशन में ISI के शीर्ष अधिकारी और पाकिस्तानी सेना शामिल थे। योजना, प्रशिक्षण, लॉजिस्टिक्स और अंतिम क्रियान्वयन—हर स्तर पर विशेषज्ञ शामिल रहे। केवल ऐसे ही पेशेवर इस पैमाने के ऑपरेशन को अंजाम दे सकते हैं।

फरीदाबाद मॉड्यूल की स्थापना पूरी तरह ISI के पेशेवरों द्वारा संचालित ऑपरेशन था। 350 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट की बरामदगी और मॉड्यूल की योजना इस ऑपरेशन के बड़े पैमाने का स्पष्ट संकेत हैं। जांच में यह भी सामने आया कि अन्य दो हैंडलर—उक़ाशा और हाशिम—भी इस साजिश में शामिल थे।

ये दोनों हैंडलर तोरा बोरा पर्वत क्षेत्र से ऑपरेट कर रहे थे और फैसल इकबाल के साथ मिलकर मॉड्यूल सदस्यों का ब्रेनवॉश और मार्गदर्शन कर रहे थे। तीनों विदेशी धरती से ऑपरेशन संचालित कर रहे थे, लेकिन ISI को एक स्थानीय सहयोगी की भी आवश्यकता थी। इसके लिए उन्होंने जम्मू-कश्मीर के मुफ्ती इरफ़ान अहमद वागे को चुना। उनके चैट ट्रांसक्रिप्ट्स से यह साफ है कि वह सीधे ऑपरेशन में शामिल थे।

वागे वही व्यक्ति था जिसने अक्टूबर में नौगाम में लगे जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टरों के पीछे काम किया था। यही वह सुराग था जिसके आधार पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जांच शुरू की और अंततः फरीदाबाद मॉड्यूल का पर्दाफाश हुआ। वागे, जो शोपियां का मौलवी है, पैसों और हथियारों के लेनदेन में भी शामिल था और मॉड्यूल के सदस्यों के कट्टरपंथी बनाने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।

वह डॉ. शाहीन सईद के संपर्क में था, जो चरमपंथी भर्ती और ब्रेनवॉश की प्रभारी थीं। अन्य साजिशकर्ताओं में मुज़म्मिल अहमद गनई—जिसके फरीदाबाद स्थित किराए के फ्लैट से करीब 350 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद हुआ—अदील अहमद राठर और डॉ. उमर नबी शामिल हैं, जो लाल किले के पास फटे i20 वाहन को चला रहे थे।

 

With inputs from IANS