‘डिलीवरी हो, ड्रामा नहीं होना चाहिए’: संसद के शीतकालीन सत्र पर PM मोदीBy Admin Mon, 01 December 2025 06:17 AM

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र से पहले कहा कि संसद में “ड्रामा” नहीं, बल्कि “डिलीवरी” होनी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि ध्यान नारेबाजी पर नहीं, नीति निर्माण पर होना चाहिए।

मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “यह शीतकालीन सत्र सिर्फ एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि राष्ट्र को तीव्र प्रगति की दिशा में आगे बढ़ाने के प्रयासों में ऊर्जा भरने का मार्ग है। भारत ने लोकतंत्र को जिया है और उसकी प्रक्रिया के प्रति अपना उत्साह दिखाया है, जिससे लोकतंत्र में जनता का भरोसा और मजबूत हुआ है।”

उन्होंने कहा कि दुनिया भारत की लोकतांत्रिक यात्रा को ध्यान से देख रही है और यह सिद्ध हो चुका है कि “लोकतंत्र डिलीवर कर सकता है”।

प्रधानमंत्री ने बिहार चुनाव का उल्लेख करते हुए कहा, “पिछले कुछ दिनों में बिहार चुनावों में भारी मतदान लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है। महिलाओं की बढ़ती भागीदारी भी आशा और विश्वास की लहर पैदा कर रही है। दुनिया हमारे लोकतंत्र और आर्थिक प्रणाली की मजबूती को करीब से देख रही है। भारत ने सिद्ध किया है कि लोकतंत्र परिणाम देता है।”

उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक प्रगति “विकसित भारत” के संकल्प को और मजबूत बनाती है और उसे पूरा करने की शक्ति देती है।

विपक्ष पर निशाना

प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष को घेरते हुए कहा, “यह सत्र इस बात पर केंद्रित होना चाहिए कि संसद देश के लिए क्या सोच रही है, क्या करना चाहती है और क्या करेगी। विपक्ष को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और हार के दुख से बाहर निकलकर सवाल उठाने चाहिए। दुर्भाग्य से कुछ राजनीतिक दल अपनी हार पचा नहीं पा रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनावों में हार के बाद भी विपक्षी दल “हतोत्साहित बयानबाज़ी” कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, “हार की हताशा इस सत्र का केंद्र नहीं बननी चाहिए, और न ही जीत का घमंड बनना चाहिए। जनता के प्रतिनिधियों के रूप में हमें देशवासियों की अपेक्षाओं को संतुलन के साथ आगे बढ़ाना चाहिए।”

नए सांसदों को मौका देने की अपील

PM मोदी ने कहा कि पहली बार चुने गए युवा सांसदों को अपनी बात रखने का अवसर मिलना चाहिए।
“वे अपने क्षेत्रों की समस्याओं को उठाने या देश के विकास के पक्ष में बोलने में सक्षम हैं, पर उन्हें रोका जाता है। हमें उन्हें मौका देना चाहिए,” उन्होंने कहा।

‘ड्रामा कहीं और करें, यहाँ नीति पर ध्यान दें’

प्रधानमंत्री ने कहा, “ड्रामा करने के लिए बहुत जगहें हैं, जिसे करना है वह वहां करे। संसद में ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए। नारे लगाने के लिए पूरा देश है; जहां हार गए, वहां लगाए; जहां हारने वाले हैं, वहां भी लगा सकते हैं। लेकिन यहां ध्यान नीतियों पर होना चाहिए, नारों पर नहीं।”

उन्होंने कहा कि राजनीति में नकारात्मकता काम आ सकती है, “लेकिन राष्ट्र निर्माण के लिए सकारात्मक सोच आवश्यक है।”

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पिछले कुछ सत्र “चुनावी तैयारी” या “हार की हताशा निकालने” का माध्यम बन गए थे। उन्होंने कुछ दलों पर तंज कसते हुए कहा कि वे जिन राज्यों में सत्ता में हैं, वहां “जनता के आक्रोश और एंटी-इंकम्बेंसी” के कारण जाने से भी डरते हैं।

अंत में प्रधानमंत्री ने राज्यसभा के नवनियुक्त सभापति सी.पी. राधाकृष्णन को पदभार संभालने पर बधाई दी।

 

With inputs from IANS