
श्रीनगर — जम्मू-कश्मीर पुलिस की काउंटर इंटेलिजेंस विंग ने शनिवार को एक आतंकी भर्ती मामले की जांच के सिलसिले में कश्मीर के विभिन्न जिलों में 10 ठिकानों पर छापेमारी की।
अधिकारियों ने बताया कि काउंटर इंटेलिजेंस कश्मीर (CIK) ने कश्मीर घाटी के चार इलाकों में 10 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया।
उन्होंने बताया,
“ये छापे एक आतंकवादी अपराध मामले की जांच का हिस्सा हैं, जो सीमा पार से जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के कमांडर अब्दुल्ला गाजी द्वारा संचालित स्लीपर सेल और भर्ती मॉड्यूल से जुड़ा है।”
छापेमारी की जा रही जगहें हैं — पुलवामा, बडगाम, गांदरबल और कंगन।
गौरतलब है कि ‘स्लीपर सेल’ उन आतंकवादियों को कहा जाता है जो सामान्य नागरिकों की तरह जीवन जीते हैं और सक्रिय आतंकी गतिविधियों में सीधे तौर पर शामिल नहीं होते।
आतंकी कमांडर ऐसे स्लीपर सेल सदस्यों को किसी विशेष आतंकी कार्रवाई के लिए हथियार मुहैया कराते हैं। हमले के बाद ये आतंकी हथियार को फेंक कर फिर से सामान्य जीवन में लौट जाते हैं।
खुफिया एजेंसियों के अनुसार, स्लीपर सेल के आतंकियों की पहचान और गिरफ्तारी बेहद जटिल और चुनौतीपूर्ण होती है क्योंकि ये लोग आम समय में किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं होते।
इनकी गिरफ्तारी या तो किसी आतंकी गतिविधि के दौरान हो सकती है या फिर गिरफ्तार आतंकी कमांडरों की जानकारी के आधार पर की जाती है।
इन स्लीपर सेल सदस्यों का आपस में सीधा संपर्क नहीं होता, इसलिए किसी एक की गिरफ्तारी से अन्य सदस्यों तक पहुंचना मुश्किल होता है।
ये स्लीपर सेल सबसे कठिन आतंकी हमलों को अंजाम देते हैं — जैसे किसी भीड़भाड़ वाली जगह पर स्थानीय पुलिसकर्मी की हत्या, बाजार में ग्रेनेड फेंकना या आतंकवाद से जुड़ा प्रचार साहित्य फैलाना।
अक्सर ऐसा देखा गया है कि ये युवा अपने माता-पिता, रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों की जानकारी के बिना ही आतंकी गतिविधियों में लिप्त होते हैं। यही कारण है कि जब पुलिस इन्हें गिरफ्तार करती है तो परिजन, पड़ोसी और दोस्त विश्वास नहीं कर पाते कि उनका जानने वाला कोई युवक आतंकी निकला।
With inputs from IANS