
नई दिल्ली — बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग (ECI) द्वारा कराए गए विशेष सारांश पुनरीक्षण (SIR) की गणना प्रक्रिया रविवार को सफलतापूर्वक समाप्त हो गई। यह प्रक्रिया 24 जून से 25 जुलाई 2025 तक चली।
इस व्यापक जनसंपर्क अभियान में राज्य के 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ से अधिक ने भाग लिया और अपने विवरण प्रस्तुत किए, जो मतदाता सहभागिता की एक बड़ी मिसाल है।
चुनाव आयोग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, राज्य की नई प्रारूप मतदाता सूची में 65 लाख मतदाताओं के नाम शामिल नहीं होंगे, जिसकी घोषणा 1 अगस्त को की जाएगी।
इनमें शामिल हैं:
22 लाख मृत मतदाता (2.83%)
36 लाख (4.59%) ऐसे मतदाता जो स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए या जिनका पता नहीं चला
7 लाख (0.89%) ऐसे मतदाता जो एक से अधिक स्थानों पर दर्ज हैं
इस विशेष अभियान का उद्देश्य था "कोई मतदाता न छूटे", जिसमें खास फोकस नए मतदाता, शहरी नागरिक, प्रवासी और बुजुर्ग एवं दिव्यांग मतदाताओं पर रहा।
राज्य के सभी 12 प्रमुख राजनीतिक दलों ने इस अभियान में सक्रिय भागीदारी की।
बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) की नियुक्तियों में 16% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई।
CPI(M) और कांग्रेस ने BLA नामांकन में 100% से अधिक वृद्धि दर्ज की, जिनमें CPI(M) ने 1083% की आश्चर्यजनक बढ़त दिखाई।
बीजेपी ने सबसे अधिक 53,000 BLA तैनात किए, उसके बाद राजद और जेडीयू रहे।
ECI ने 5.7 करोड़ से अधिक SMS अलर्ट पंजीकृत मतदाताओं को भेजे। इसके साथ ही बिहार के CEO ने अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों के साथ मिलकर प्रवासी मतदाताओं तक पहुंच बनाई।
तकनीक का उपयोग भी तेजी से बढ़ा — करीब 29 लाख फॉर्म डिजिटल माध्यम (वेबसाइट/ऐप) से जमा किए गए।
10.2 करोड़ SMS पूरे अभियान के दौरान भेजे गए, जिनमें फॉर्म प्राप्ति की पुष्टि के लिए पुनः SMS भी शामिल थे।
1 अक्टूबर 2025 तक 18 वर्ष पूरे करने वाले युवाओं को 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक नामांकन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
ECI अगस्त माह में राज्यव्यापी विशेष अभियान चलाएगा ताकि सभी योग्य युवा मतदाता सूची में शामिल हो सकें।
वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग मतदाताओं की सहायता के लिए स्वयंसेवक व अधिकारी दस्तावेजों की प्रक्रिया में मदद कर रहे हैं।
प्रारूप मतदाता सूची 1 अगस्त को डिजिटल और प्रिंट दोनों रूपों में उपलब्ध होगी।
नाम जोड़ने, हटाने या संशोधन की प्रक्रिया के लिए एक महीने की समयावधि दी जाएगी।
कोई भी नाम बिना विधिवत आदेश के सूची से नहीं हटाया जाएगा और 1950 के जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 24 के तहत अपील की जा सकती है।
बिहार में चुनाव आयोग का यह समर्पित और समावेशी अभियान मतदाता सहभागिता और चुनावी पारदर्शिता का आदर्श मॉडल बनकर उभर रहा है।
With inputs from IANS