
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत द्वारा चलाए गए 'ऑपरेशन सिन्दूर' पर प्रस्तावित बहस को लेकर संसद में जबरदस्त हलचल देखी गई। इसी के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने विपक्ष को यू-टर्न लेने पर फटकार लगाई और सदन को दोपहर 1 बजे तक स्थगित कर दिया।
सत्र की शुरुआत कृष्ण प्रसाद टेनेटी की अध्यक्षता में हुई। उन्होंने सदस्यों को सूचित किया कि स्थगन प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया गया है, और फिर मंत्रियों को सदन में सरकारी दस्तावेज व रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया।
इनमें गजेंद्र सिंह शेखावत, जयंत चौधरी, पंकज चौधरी, शोभा करंदलाजे, रक्षा खड़से, सुकांत मजूमदार, हर्ष मल्होत्रा, और किरण रिजिजू शामिल थे, जिन्होंने उच्च शिक्षा, वित्त, एमएसएमई, युवा कार्य, और कॉरपोरेट मामलों से जुड़ी रिपोर्टें पेश कीं।
इसके अलावा, 25 जुलाई को तैयार की गई सरकारी कार्य समिति की 10वीं रिपोर्ट भी सदन में पेश की गई, जिसमें सप्ताह के लिए विधायी एजेंडा निर्धारित किया गया था।
प्रक्रिया नियम 377 के तहत सदस्यों को 20 मिनट का समय दिया गया, जिसमें वे अपने निर्वाचन क्षेत्र से संबंधित जनहित के मुद्दे उठा सकते थे।
दोपहर 12:06 बजे, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सदन में प्रवेश किया और ऑपरेशन सिन्दूर पर बहस को लेकर उपजे विवाद पर टिप्पणी की। उन्होंने याद दिलाया कि बिजनेस एडवाइजरी कमेटी ने सर्वसम्मति से इस बहस को तय किया था और विपक्ष के नेताओं ने भी उनके कक्ष में मौखिक सहमति दी थी।
उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि अब कुछ सदस्य अपनी सहमति से पीछे हट रहे हैं।
हालांकि, विपक्षी सांसद नारेबाज़ी करते रहे और ऑपरेशन सिन्दूर के साथ-साथ बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर भी तत्काल चर्चा की मांग करने लगे। सदन में “SIR पर चर्चा करो” के नारे गूंजते रहे।
ओम बिड़ला ने कई बार सदस्यों से संसदीय मर्यादा का पालन करने की अपील की और पूछा कि क्या सदन तय प्रक्रिया के अनुसार बहस आगे बढ़ाना चाहता है? उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि बहस केवल बिजनेस एडवाइजरी कमेटी के निर्धारित ढांचे के तहत ही हो सकती है, न कि सदन में शोर-शराबा कर।
जब हालात नहीं संभले, तो उन्होंने सदन को दोपहर 1 बजे तक स्थगित कर दिया।
इस बहस का मूल विषय है—भारत की सैन्य कार्रवाई 'ऑपरेशन सिन्दूर', जो पहलगाम हमले में 26 नागरिकों की जान जाने के बाद पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में 7 से 10 मई के बीच 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर की गई थी। सरकार ने इसे “सशक्त, सफल और निर्णायक” करार दिया है।
वहीं, विपक्ष, खासकर कांग्रेस और INDIA गठबंधन, ने खुफिया विफलताओं और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता, विशेषकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सीज़फायर दावे पर स्पष्टता की मांग की है।
16 घंटे लंबी इस बहस की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे, जबकि गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर सरकार का पक्ष रखेंगे। विपक्ष की ओर से राहुल गांधी नेतृत्व करेंगे। कांग्रेस ने सभी सांसदों को उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया है, जो इस बहस के राजनीतिक महत्व को दर्शाता है।
With inputs from IANS