जासूसों की फौज: कैसे आईएसआई के 2016 नेटवर्क ने भारत की सुरक्षा और सोशल मीडिया में सेंध लगाईBy Admin Sat, 16 August 2025 12:21 PM

नई दिल्ली- जनवरी 2025 में भारतीय खुफिया एजेंसियों ने करीब तीन महीने तक गुप्त अभियान चलाया, जिसके नतीजे में पाकिस्तान के पेरोल पर काम करने वाले बड़े जासूसी नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ। इस कार्रवाई में सुरक्षा बलों के कुछ कर्मियों, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और आम नागरिकों को गिरफ्तार किया गया।

हाल ही में जैसलमेर स्थित रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के गेस्ट हाउस के प्रबंधक महेंद्र प्रसाद को जासूसी और आईएसआई को संवेदनशील जानकारी साझा करने के आरोप में हिरासत में लिया गया। एजेंसियाँ यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि उन्होंने कितना और किस प्रकार का डेटा लीक किया।

2016 से सक्रिय नेटवर्क

लगातार होती इन गिरफ्तारियों से साफ़ है कि आईएसआई ने भारत में अपने एजेंटों की एक बड़ी फौज खड़ी कर रखी है। एजेंसियों का कहना है कि यह नेटवर्क नया नहीं है, बल्कि 2016 से सक्रिय है और पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों से संचालित होता है।

  • शुरुआत में आईएसआई ने भारतीय सेना में भर्ती होने वाले उम्मीदवारों और नए रिक्रूट्स को टारगेट किया।

  • इसके बाद उन फ़ोटोग्राफ़रों पर नज़र डाली गई जो संवेदनशील ठिकानों के आसपास काम करते थे।

पहले चरण में यादृच्छिक लोगों की भर्ती की गई। कुछ को पैसों का लालच देकर, तो कुछ को हनीट्रैप कर ब्लैकमेल करके इस नेटवर्क में शामिल किया गया। भर्ती की यह प्रक्रिया लगभग एक साल तक चली, जिसमें संभावित जासूसों के व्यवहार, आदतें और रुचियाँ बारीकी से परखी गईं।

करीब 100 लोगों के नेटवर्क से शुरू हुई यह कवायद अब पूरी जासूसों की फौज बन चुकी है। आईएसआई ने भारत में राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और पंजाब में अपने मुख्य मॉड्यूल स्थापित किए।

सोशल मीडिया नेटवर्क और इन्फ्लुएंसर मॉड्यूल

फिज़िकल मॉड्यूल्स के साथ-साथ, एजेंसियों के लिए ऑनलाइन नेटवर्क और मुश्किल साबित हुए।

  • फर्जी प्रोफाइल्स बनाकर लोगों को फंसाया जा रहा है ताकि वे जानकारी लीक करें।

  • हाल ही में इन्फ्लुएंसर नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ, जिसमें सामने आया कि कई इन्फ्लुएंसर्स को सीधे तौर पर जानकारी देने के लिए नहीं, बल्कि पाकिस्तान की तारीफ़ करने और भारत की नकारात्मक छवि बनाने के लिए पैसे दिए जा रहे थे।

शुरुआत में छोटे-छोटे मुद्दों पर पाकिस्तान के पक्ष में बोलवाया गया, फिर धीरे-धीरे भारत के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश हुई। आईएसआई का इरादा था कि इन्फ्लुएंसर्स के बड़े फॉलोअर बेस का इस्तेमाल कर नैरेटिव बदला जाए।

नए तरीकों से भर्ती

आज ज़्यादातर जासूस सोशल मीडिया या हनीट्रैप के ज़रिए भर्ती किए जाते हैं, लेकिन आईएसआई ने पारंपरिक तरीक़े नहीं छोड़े हैं।

  • अब यह संगठन पश्चिम एशियाई देशों और नेपाल से भी सक्रिय रूप से भर्ती कर रहा है।

  • इन लोगों की पहचान कर उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है और फिर भारत में घुसपैठ कराई जाती है।

  • नेपाल सीमा का इस्तेमाल सिर्फ़ आतंकियों और नकली भारतीय नोट भेजने के लिए ही नहीं, बल्कि जासूसों की भर्ती और उन्हें भारत में तैनात करने के लिए भी किया जा रहा है।

बड़ी चुनौती

सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक़ यह बहुत बड़ी चुनौती है और इसे पूरी तरह साफ़ करना आसान नहीं है। चूँकि आईएसआई बार-बार अपना मोडस ऑपरेंडी बदलती रहती है, इसलिए भारतीय एजेंसियों को लगातार अपनी रणनीति बदलनी पड़ती है और हर कदम पर चौकस रहना पड़ता है।

 

With inputs from IANS