
लेह। पाँच बार की गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर सूफिया सूफी और लद्दाख के स्थानीय धावक त्सेवांग कुंदन ने 12वें लद्दाख मैराथन के सिल्क रूट अल्ट्रा में जीत दर्ज की। इस साल के रिकॉर्ड तोड़ आयोजन में छह अलग-अलग रेसों में कुल 6,600 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
इस संस्करण की ख़ासियत यह रही कि पहली बार भारत के हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश से धावक इसमें शामिल हुए। इसके अलावा 30 देशों के एथलीट भी दौड़े, जिससे यह मैराथन वैश्विक स्तर पर प्रमुख दौड़ों में शुमार हो गई।
दुनिया की सबसे कठिन सहनशक्ति वाली रेसों में मानी जाने वाली सिल्क रूट अल्ट्रा में धावकों को 122 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है। यह नुब्रा घाटी से शुरू होकर 17,618 फीट ऊँचे खारदुंग ला दर्रे को पार करती है और लेह बाज़ार के बीचोंबीच खत्म होती है।
इस साल 76 धावकों ने इस चुनौती को स्वीकार किया। लद्दाख स्काउट्स से जुड़े त्सेवांग कुंदन ने पुरुष वर्ग का खिताब 13 घंटे 50 मिनट और 1 सेकंड में जीत लिया। उनकी यूनिट ने कई अन्य श्रेणियों में भी बेहतरीन प्रदर्शन कर पोडियम फिनिश हासिल की।
वहीं सूफिया सूफी ने 19 घंटे 12 मिनट और 36 सेकंड का समय लेते हुए महिला वर्ग में बाज़ी मारी। पिछले साल वह तीसरे स्थान पर रही थीं।
इससे पहले 12 सितम्बर की सुबह 3 बजे खारदुंग ला चैलेंज (72 किमी अल्ट्रामैराथन) की शुरुआत खारदुंग गाँव से हुई, जिसमें 280 से अधिक धावकों ने भाग लिया।
शब्बीर हुसैन ने पुरुष वर्ग में 6 घंटे 58 मिनट 40 सेकंड में जीत हासिल की, जबकि लगातार चैंपियन नामग्याल ल्हामो ने महिलाओं के वर्ग में साढ़े आठ घंटे से थोड़ा अधिक समय में पहला स्थान पाया।
पुरस्कार वितरण समारोह लेह बाज़ार में हुआ। सिल्क रूट अल्ट्रा के विजेताओं को लद्दाख पुलिस के डीजीपी डॉ. एस.डी. सिंह जमवाल ने सम्मानित किया, जबकि खारदुंग ला चैलेंज के विजेताओं को मेजर जनरल परवीन छाबड़ा, वीएसएम ने सम्मानित किया।
मौके पर लद्दाख मैराथन के संस्थापक और रेस डायरेक्टर चेवांग मोटुप गोबा ने कहा, “सबसे पहले इस साल के विजेताओं को बहुत-बहुत बधाई। सिल्क रूट अल्ट्रा और खारदुंग ला चैलेंज दोनों ही मानसिक और शारीरिक रूप से दुनिया की सबसे कठिन दौड़ों में से हैं। इन्हें पूरा करना अदम्य साहस, हिम्मत और लगन को दर्शाता है। इस बार 350 से अधिक धावकों ने इन चुनौतियों का सामना किया। हम हर उस प्रतिभागी को भी सराहते हैं जिन्होंने इन रेसों में भाग लिया और उम्मीद करते हैं कि वे अगले साल भी लौटेंगे।”
वरिष्ठ (वेटरन) वर्ग में भी शानदार प्रदर्शन देखने को मिला। खारदुंग ला चैलेंज में इंदौर के विजय कुमार सिंह (8:59:04) ने पुरुष वर्ग में बाज़ी मारी, जबकि बेंगलुरु की रीता सतीश पाटकर (12:41:48) ने महिला वर्ग जीता। सिल्क रूट अल्ट्रा के वेटरन पुरुष वर्ग में उत्तराखंड के शिवानंद डंगवाल (18:32:24) विजेता बने।
2010 की फ्लैश फ़्लड्स के बाद दृढ़ता के प्रतीक के रूप में शुरू हुई लद्दाख मैराथन 2012 में आधिकारिक रूप से स्थापित हुई। एक दशक में यह स्थानीय आयोजन से विकसित होकर भारत की सबसे बड़ी और अनोखी रेसों में से एक बन चुकी है, जो हर साल हज़ारों धावकों को देश-विदेश से आकर्षित करती है।
12वां संस्करण 13 सितम्बर को 5 किमी रन फॉर फन के साथ जारी रहेगा और इसके बाद 11.2 किमी रन, हाफ मैराथन और फुल मैराथन के साथ समाप्त होगा।
With inputs from IANS