
नई दिल्ली — आज से सौ साल पहले, 7 नवंबर 1925 को भारतीय हॉकी का अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) से जुड़ाव हुआ था — और इसके साथ ही शुरू हुआ न सिर्फ एक खेल का उत्थान, बल्कि राष्ट्रीय गौरव का उदय। तीन साल बाद आया एम्स्टर्डम ओलंपिक 1928, और उसी के साथ वह ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जिसने भारत को हॉकी महाशक्ति के रूप में विश्व मंच पर स्थापित कर दिया।
आने वाले दशकों में तिरंगा विश्व हॉकी पर छा गया — आठ ओलंपिक स्वर्ण पदकों (जो किसी भी देश द्वारा सबसे अधिक हैं) के साथ एक रजत और चार कांस्य पदक भारत के नाम दर्ज हुए।
यह सफर रहा है अद्भुत प्रतिभा, कठिन दौर और प्रेरक वापसी का। 1928 से 1959 का ‘स्वर्ण युग’ भारतीय खेल पहचान की नींव बना; 1980 और 90 के दशक ने इस विरासत को चुनौती दी; और फिर आई नई ऊर्जा — टोक्यो 2020 के प्रतिष्ठित कांस्य पदक से शुरू होकर पेरिस 2024 में एक और पोडियम फिनिश के साथ सशक्त पुनर्जागरण तक। 1975 के विश्व कप विजय और एशियाई खेलों में पुरुषों और महिलाओं दोनों के शानदार प्रदर्शन के साथ, हॉकी अब भी भारत की खेल आत्मा का अभिन्न हिस्सा है।
7 नवंबर 2025 को भारत इस गौरवशाली शताब्दी का जश्न मनाएगा। इस उत्सव का केंद्र होगा नई दिल्ली का मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम, जहां सुबह की शुरुआत एक विशेष प्रदर्शनी मैच से होगी — माननीय खेल मंत्री इलेवन बनाम हॉकी इंडिया मिक्स्ड इलेवन, जिसमें पुरुष और महिलाएं एक साथ मैदान साझा करेंगे — खेल के समावेशी भविष्य का प्रतीक बनकर। इसी दिन “100 ईयर्स ऑफ इंडियन हॉकी” नामक स्मारक पुस्तक का लोकार्पण होगा, साथ ही एक प्रेरक फोटो प्रदर्शनी दर्शकों को एम्स्टर्डम से लेकर पेरिस तक की यात्रा दिखाएगी — ध्यानचंद की कलाकारी से लेकर आधुनिक चैंपियनों के संघर्ष तक।
लेकिन यह जश्न केवल एक स्टेडियम तक सीमित नहीं रहेगा। यह देश के 500 से अधिक जिलों में गूंजेगा, जहां 1,000 से ज्यादा मैचों में 36,000 खिलाड़ी — स्कूली बच्चे, उभरते खिलाड़ी, अनुभवी दिग्गज और सामुदायिक टीमें — एक साथ मैदान पर उतरेंगे। यह होगी हॉकी की सबसे बड़ी उत्सवधारा — यादों और उम्मीदों से भरी, उस खेल के सम्मान में जिसने कभी भारत की पहचान बनाई और आज भी सपनों को प्रेरित कर रहा है।
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष डॉ. दिलीप तिर्की ने कहा, “यह शताब्दी भारतीय हॉकी की आत्मा को दर्शाती है — इसके नायकों, इसके संघर्ष और इसके शानदार पुनर्जागरण को। हमारे स्वर्णिम दिग्गजों से लेकर आज के युवा सितारों तक, इस सफर का हर कदम हमारे देश की खेल पहचान को गढ़ता रहा है। जब हम 100 साल मना रहे हैं, हम अपने अतीत का सम्मान करते हुए आने वाली पीढ़ियों के लिए नए लक्ष्य तय कर रहे हैं।”
हॉकी इंडिया के महासचिव भोला नाथ सिंह ने जोड़ा, “हॉकी हमेशा भारत के लोगों का खेल रहा है, और यह उत्सव हर प्रशंसक, हर खिलाड़ी और हर कोच के नाम है, जिन्होंने इसकी आत्मा को जीवित रखा। जब हम 500 से अधिक जिलों में जश्न मना रहे हैं, तो हम सिर्फ इतिहास याद नहीं कर रहे — हम भारतीय हॉकी के अगले सौ साल रच रहे हैं।”
जैसे-जैसे यह ऐतिहासिक दिन करीब आ रहा है, देशभर के स्टेडियम, स्कूल और मैदान गर्व, nostalgia और नई ऊर्जा के साथ तैयार हो रहे हैं। एक सदी पूरी — और एक नया युग शुरू होने को है।
With inputs from IANS