
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए एयर ड्रॉप टेस्ट को सफलतापूर्वक पूरा किया है।
पहला इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट (IADT-01) रविवार को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) में किया गया। इस परीक्षण में इसरो के साथ भारतीय वायुसेना, डीआरडीओ, भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल ने भी सहयोग किया।
इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा, “गगनयान मिशनों के लिए पैराशूट-आधारित डीसलेरेशन सिस्टम का एंड-टू-एंड प्रदर्शन करने हेतु पहला इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट (IADT-01) सफलतापूर्वक पूरा किया गया।”
यह परीक्षण “पैराशूट-आधारित डीसलेरेशन सिस्टम की सिस्टम लेवल क्वालिफिकेशन” का हिस्सा था, जिसमें एक सिम्युलेटेड क्रू मॉड्यूल को हेलिकॉप्टर से गिराया गया।
इसरो ने बताया, “गगनयान मिशन में क्रू मॉड्यूल (CM) के समुद्र में उतरने से पहले उसके टर्मिनल चरण में पैराशूट-आधारित डीसलेरेशन सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे उसकी टचडाउन स्पीड को सुरक्षित सीमा तक घटाया जा सके।”
IADT-01 में पैराशूट सिस्टम और उसकी संरचना को गगनयान मिशन जैसा ही रखा गया था। इसमें कुल 10 पैराशूट थे — दो एपेक्स कवर सेपरेशन (ACS), दो ड्रोग, तीन पायलट और तीन मेन कैनोपी।
भारतीय वायुसेना के चिनूक (Chinook) हेवी-लिफ्ट हेलिकॉप्टर से लगभग 3 किमी की ऊँचाई पर 4.8 टन वजनी सिम्युलेटेड क्रू मॉड्यूल को छोड़ा गया।
परीक्षण के दौरान, ACS मोर्टार के फायर होते ही 2.5 मीटर व्यास वाले ACS पैराशूट खुले और उसके बाद एपेक्स कवर अलग हो गया। इसके बाद ड्रोग पैराशूट ने पहली बार स्पीड कम की, जिन्हें अलग करके पायलट पैराशूट के जरिए तीनों मेन पैराशूट खोले गए। हर मेन पैराशूट का व्यास 25 मीटर था।
मुख्य पैराशूटों ने क्रू मॉड्यूल की अंतिम गति लगभग 8 मीटर प्रति सेकंड तक घटा दी। टचडाउन के बाद पैराशूट रिलीज़र की मदद से सभी पैराशूट अलग हो गए।
इस टेस्ट ने लॉन्च पैड पर संभावित एबॉर्ट स्थिति का भी अनुकरण किया, जिसमें ऑनबोर्ड एवियोनिक्स ने डीसलेरेशन अनुक्रम को नियंत्रित किया और डेटा ज़मीन पर भेजा।
पानी में उतरने के बाद सिम्युलेटेड क्रू मॉड्यूल को सफलतापूर्वक निकाला गया और आईएनएस अनुसंधान पोत अन्वेषा से चेन्नई बंदरगाह लाया गया।
इसरो ने कहा कि क्रू मॉड्यूल और हेलिकॉप्टर की गतिशीलता को ध्यान में रखते हुए व्यापक मॉडलिंग की गई थी और कई ट्रायल उड़ानें पूरी करने के बाद ही टेस्ट ऑथराइजेशन बोर्ड (TAB) ने अनुमति दी।
एजेंसी ने यह भी बताया कि आने वाले दिनों में अलग-अलग परिस्थितियों में ऐसे और परीक्षण किए जाएंगे।
With inputs from IANS