
नई दिल्ली। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मद्रास (आईआईटी मद्रास) के शोधकर्ताओं ने एक अभिनव और किफायती माइक्रोफ्लुइडिक डिवाइस विकसित किया है, जो यह तेजी से जांच सकता है कि बैक्टीरिया एंटीबायोटिक के प्रति रेजिस्टेंट हैं या सस्प्टिबल।
एंटीमाइक्रोबियल सस्प्टिबिलिटी टेस्टिंग (AST) एक अहम तकनीक है जिसके ज़रिए पता लगाया जाता है कि किसी विशेष संक्रमण पर कौन-सी एंटीबायोटिक कारगर होगी। इससे डॉक्टर सही इलाज चुन पाते हैं और एंटीबायोटिक के गलत इस्तेमाल से बचा जा सकता है, जो कि एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) का एक बड़ा कारण है।
कई आधुनिक तकनीकों के विपरीत, जो महंगे धातुओं, जटिल निर्माण प्रक्रियाओं और अत्यधिक प्रशिक्षित तकनीशियनों पर निर्भर होती हैं, यह ‘ε-µD’ नामक लैब-ऑन-चिप डिवाइस स्क्रीन-प्रिंटेड कार्बन इलेक्ट्रोड्स और सरल माइक्रोफ्लुइडिक चिप पर आधारित है।
यह तरीका डिवाइस को न केवल किफायती बनाता है बल्कि छोटे क्लीनिकों और ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में भी उपयोग के लिए उपयुक्त है। यह केवल तीन घंटे में परिणाम दे सकता है।
रसायन अभियांत्रिकी विभाग के प्रोफेसर एस. पुष्पवनम ने कहा, “यह डिवाइस आईसीयू में भर्ती मरीजों के लिए वास्तविक प्रभाव डाल सकता है, जिन्हें बैक्टीरियल संक्रमण से जटिलताएं हो सकती हैं। इससे डॉक्टर सही इलाज दे पाएंगे और कई बार यह जीवनरक्षक साबित हो सकता है।”
एएमआर (AMR) आज वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे दुनिया के स्वास्थ्य के लिए शीर्ष 10 खतरों में शामिल किया है। अनुमान है कि 2019 में करीब 49.5 लाख मौतें बैक्टीरियल एएमआर से जुड़ी थीं।
पारंपरिक AST विधियों में बैक्टीरिया की कल्चरिंग और एंटीबायोटिक के प्रति उनकी प्रतिक्रिया को देखना शामिल होता है। इसमें आमतौर पर 48 से 72 घंटे लगते हैं, जो काफी समय लेने वाला और श्रमसाध्य होता है। इस देरी के कारण डॉक्टर कई बार ब्रॉड-स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक का उपयोग करते हैं, जिससे रेजिस्टेंस की समस्या और बढ़ जाती है।
नया किफायती फेनोटाइपिक टेस्टिंग डिवाइस इलेक्ट्रोकेमिकल सिग्नल्स का उपयोग कर बैक्टीरिया की वृद्धि और उनकी एंटीबायोटिक सस्प्टिबिलिटी का पता केवल तीन घंटे में लगा सकता है।
‘नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इस डिवाइस को दो प्रकार के बैक्टीरिया—ग्राम-नेगेटिव E. coli और ग्राम-पॉज़िटिव B. subtilis—पर टेस्ट किया।
उन्होंने दो अलग-अलग प्रकार की एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया:
एम्पिसिलिन (जो बैक्टीरिया को मारती है), और
टेट्रासाइक्लिन (जो बैक्टीरिया की वृद्धि रोकती है)।
इससे पुष्टि हुई कि डिवाइस दोनों तरह की प्रतिक्रियाओं का पता तीन घंटे के भीतर लगा सकता है।
टीम ने इस डिवाइस को E. coli से संक्रमित मूत्र के सैंपल पर भी परखा और सफलतापूर्वक टेट्रासाइक्लिन के प्रति रेजिस्टेंस की पहचान की—यह दिखाता है कि यह डिवाइस क्लिनिकल डायग्नोस्टिक्स में बड़ी भूमिका निभा सकता है।
With inputs from IANS