
नई दिल्ली। एक अध्ययन में दावा किया गया है कि स्वस्थ आंत बैक्टीरिया से बनी एक गोली मोटापा कम करने के साथ-साथ हृदय रोग और डायबिटीज जैसी बीमारियों के खतरे को घटाने में ‘सुपर इलाज’ साबित हो सकती है।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम पांच स्थितियों का समूह है—उच्च रक्तचाप, हाई ब्लड शुगर, बढ़ा हुआ कमर घेरा, रक्त में ट्राइग्लिसराइड (फैट) का स्तर ज्यादा होना और एचडीएल (‘अच्छा’ कोलेस्ट्रॉल) का स्तर कम होना।
नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में पाया गया कि एक कैप्सूल के जरिए स्वस्थ गट बैक्टीरिया का ट्रांसफर बड़े स्वास्थ्य लाभ दे सकता है।
न्यूजीलैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ ऑकलैंड के शोधकर्ताओं ने 87 मोटापे से ग्रसित किशोरों पर अध्ययन किया। उन्होंने जांचा कि क्या स्वस्थ डोनर्स से लिए गए अच्छे गट बैक्टीरिया को कैप्सूल के रूप में देने से उनका स्वास्थ्य और वजन बेहतर हो सकता है।
प्रोफेसर वेन कटफील्ड (लिगिन्स इंस्टीट्यूट) ने बताया कि प्रतिभागियों का वजन तो कम नहीं हुआ, लेकिन बढ़ा भी नहीं। सबसे अहम बात यह रही कि जिन किशोरों को यह कैप्सूल दिया गया, उनमें मेटाबॉलिक सिंड्रोम का खतरा काफी घट गया, जबकि प्लेसिबो लेने वालों में कोई खास सुधार नहीं हुआ।
उन्होंने कहा,
“हमारे अध्ययन में शामिल एक-तिहाई से ज्यादा किशोर मेटाबॉलिक सिंड्रोम से ग्रसित थे। यह स्थिति बेहद खतरनाक है क्योंकि इससे दिल के रोग या स्ट्रोक से मरने का खतरा दोगुना और टाइप-2 डायबिटीज का खतरा पांच गुना बढ़ जाता है। आश्चर्यजनक यह है कि सिर्फ एक बार किए गए ‘फीकल माइक्रोबायोटा ट्रांसप्लांटेशन’ (FMT) ने चार साल तक इस खतरे को काफी हद तक कम रखा।”
यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जस्टिन ओ’सुलिवन ने बताया कि चार साल बाद भी जिन प्रतिभागियों को कैप्सूल दिए गए थे, उनके गट में नए बैक्टीरिया सक्रिय और स्वस्थ पाए गए।
उन्होंने कहा,
“सोचिए, अगर हम अपने माइक्रोबायोम को पहले से प्रोग्राम कर सकें ताकि बीमारियां पैदा होने से पहले ही उनके खतरे कम हो जाएं। यह शोध अगली पीढ़ी के प्रोबायोटिक्स का रास्ता खोल रहा है, जो विशेष रूप से मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसी स्थितियों को नियंत्रित कर सकते हैं।”
प्रो. कटफील्ड ने कहा,
“हमारा लक्ष्य है एक ऐसा सुपर बैक्टीरिया मिक्स तैयार करना जिसे खाकर मेटाबॉलिक सिंड्रोम को रोका या नियंत्रित किया जा सके।”
With inputs from IANS