
नई दिल्ली- सेमिकॉन इंडिया 2025 का समापन बुधवार को हुआ, जिसने वैश्विक कंपनियों के साथ रणनीतिक साझेदारियों के माध्यम से भारत की वैश्विक सेमीकंडक्टर लीडर बनने की महत्वाकांक्षा को और मजबूत किया है, एक रिपोर्ट में कहा गया।
यह कार्यक्रम, जो अब तक का सबसे बड़ा आयोजन था, में 33 देशों के 350 से अधिक प्रदर्शकों और 15,000 से ज्यादा आगंतुकों ने हिस्सा लिया। इंडिया नैरेटिव की रिपोर्ट के अनुसार, इस बार का थीम था – “बिल्डिंग द नेक्स्ट सेमीकंडक्टर पावरहाउस”, जिसके तहत भारत की तेज़ प्रगति को रेखांकित किया गया। भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के अंतर्गत अब तक लगभग 65,000 करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता की जा चुकी है।
यह आयोजन आईएसएम और वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग संगठन SEMI के संयुक्त प्रयास से किया गया, जिसमें तकनीकी रुझानों को सामने लाया गया और सप्लाई चेन में सहयोग को बढ़ावा दिया गया।
सेमीकंडक्टर उपकरण निर्माता ASML Holding NV, जो सेमीकंडक्टर लिथोग्राफी में वैश्विक अग्रणी है, ने भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी को और मजबूत करने की घोषणा की।
आईएसएम वर्ष 2021 में 76,000 करोड़ रुपये की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के साथ लॉन्च हुआ था, ताकि सेमीकंडक्टर क्षेत्र में घरेलू निर्माण और डिजाइन को बढ़ावा दिया जा सके।
अब तक स्वीकृत परियोजनाओं में 1.60 लाख करोड़ रुपये शामिल हैं, जिनमें टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स की 91,000 करोड़ रुपये की धोलेरा फैब यूनिट, माइक्रोन की 22,516 करोड़ रुपये की सैनand पैकेजिंग सुविधा और सीजी पावर की नई ओएसएटी पायलट लाइन (जो अगस्त में शुरू हुई) शामिल हैं।
भारत पारंपरिक सिलिकॉन-आधारित सेमीकंडक्टर से आगे बढ़कर सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) की ओर बढ़ रहा है, जो अधिक मजबूत और 2,400 डिग्री सेल्सियस तक ताप-प्रतिरोधी है, और रक्षा व अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के लिए आदर्श है।
डिजाइन के क्षेत्र में भारत उच्च-प्रदर्शन चिप्स के लिए 3D ग्लास पैकेजिंग की ओर भी प्रगति कर रहा है।
कार्यक्रम में ‘वर्कफोर्स डेवलपमेंट पैविलियन’ भी शामिल था, जिसका लक्ष्य 2030 तक 10 लाख कुशल कार्यबल तैयार करना है। साथ ही, SEMI यूनिवर्सिटी प्रोग्राम ने 800 से अधिक तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम प्रस्तुत किए।
इसके अलावा ‘डिजाइन स्टार्टअप पैविलियन’ में स्वदेशी चिप डिजाइन नवाचार को प्रदर्शित किया गया।
इस आयोजन में निवेश प्रतिज्ञाओं, कार्यबल विकास, हरित विनिर्माण और स्वदेशी डिजाइन पर जोर दिया गया। भारत अब तक 60,000 छात्रों को प्रशिक्षित कर चुका है और स्थानीय संस्थानों के माध्यम से 20 चिप्स का निर्माण भी हो चुका है, जिससे वह उपभोक्ता से निर्माता बनने की दिशा में अग्रसर है।
वर्तमान में ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान, चीन और अमेरिका चिप उत्पादन पर हावी हैं, लेकिन उनकी अत्यधिक एकाग्रता सप्लाई चेन जोखिम पैदा करती है, जिसे भारत दूर करने का प्रयास कर रहा है।
भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2023 में 38 अरब डॉलर का था और 2024-25 में इसके 45 से 50 अरब डॉलर तथा 2030 तक 100 से 110 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। वैश्विक स्तर पर यह बाजार 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
With inputs from IANS