‘डर नहीं, सिर्फ़ खूबसूरती’: खगोलशास्त्री ने 7 सितम्बर के चंद्र ग्रहण को बताया दुर्लभ खगोलीय नज़ाराBy Admin Sat, 06 September 2025 03:26 AM

नई दिल्ली- इस रविवार (7 सितम्बर) लगने वाला चंद्र ग्रहण एक दुर्लभ खगोलीय संयोग होगा, ऐसा प्रमुख खगोलशास्त्रियों का कहना है।

भारत के ज़्यादातर हिस्सों में दिखाई देने वाला यह ग्रहण साल का सबसे लंबा होगा और गांव से लेकर शहर तक लोगों में गहरी उत्सुकता जगाएगा।

आईएएनएस से बातचीत में नेहरू सेंटर प्लैनेटेरियम (मुंबई) के निदेशक अरविंद परांजपे ने बताया कि यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जिसकी शुरुआत रात 8:58 बजे से होगी।

पूर्ण ग्रहण, जब चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में होगा, करीब रात 11 बजे से शुरू होगा और 11:42 बजे अपने चरम पर पहुंचेगा। यह ग्रहण देर रात तक चलेगा और अंततः 1:26 बजे समाप्त होगा।

“यह एक लंबे समय तक चलने वाला ग्रहण है। अपने चरम पर चंद्रमा गहरा और ईंट-लाल रंग का भी दिखाई दे सकता है,” परांजपे ने कहा। उन्होंने बताया कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पृथ्वी का वायुमंडल नीली रोशनी को छितराता है और लाल रोशनी को चंद्रमा तक पहुंचने देता है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ज्योतिष में भले ही चंद्र ग्रहण को शुभ-अशुभ मान्यताओं से जोड़ा जाता हो, लेकिन विज्ञान की दृष्टि में यह केवल एक प्राकृतिक घटना है।

“इसमें डरने या अंधविश्वास पालने की कोई ज़रूरत नहीं है। सूर्य ग्रहण की तरह इसमें किसी विशेष चश्मे या फिल्टर की आवश्यकता नहीं होती। इसे नंगी आंखों से देखना पूरी तरह सुरक्षित है,” उन्होंने कहा।

अपने अनुभव साझा करते हुए परांजपे ने 1970 के दशक के एक चंद्र ग्रहण का ज़िक्र किया, जब ज्वालामुखीय राख के कारण चंद्रमा कुछ मिनटों के लिए बिल्कुल गायब-सा लग रहा था।

उन्होंने कहा, “ऐसे नज़ारे हमें याद दिलाते हैं कि ग्रहण आकाश में दिखाई देने वाली सबसे खूबसूरत घटनाओं में से एक है।”

परांजपे ने लोगों से आग्रह किया कि वे इस अद्भुत घटना का आनंद लें, तस्वीरें खींचें और इसे यादगार बनाएं।

“अगर आसमान साफ रहा तो यह पूरे भारत के लिए प्रकृति के सबसे शानदार नज़ारों में से एक को देखने का सुनहरा अवसर होगा,” उन्होंने कहा।

7 सितम्बर का यह चंद्र ग्रहण साल का आख़िरी और 2025 के सबसे महत्वपूर्ण खगोलीय आयोजनों में से एक माना जा रहा है।

‘डर नहीं, सिर्फ़ खूबसूरती’: खगोलशास्त्री ने 7 सितम्बर के चंद्र ग्रहण को बताया दुर्लभ खगोलीय नज़ारा

नई दिल्ली, 5 सितम्बर (आईएएनएस) इस रविवार (7 सितम्बर) लगने वाला चंद्र ग्रहण एक दुर्लभ खगोलीय संयोग होगा, ऐसा प्रमुख खगोलशास्त्रियों का कहना है।

भारत के ज़्यादातर हिस्सों में दिखाई देने वाला यह ग्रहण साल का सबसे लंबा होगा और गांव से लेकर शहर तक लोगों में गहरी उत्सुकता जगाएगा।

आईएएनएस से बातचीत में नेहरू सेंटर प्लैनेटेरियम (मुंबई) के निदेशक अरविंद परांजपे ने बताया कि यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जिसकी शुरुआत रात 8:58 बजे से होगी।

पूर्ण ग्रहण, जब चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में होगा, करीब रात 11 बजे से शुरू होगा और 11:42 बजे अपने चरम पर पहुंचेगा। यह ग्रहण देर रात तक चलेगा और अंततः 1:26 बजे समाप्त होगा।

“यह एक लंबे समय तक चलने वाला ग्रहण है। अपने चरम पर चंद्रमा गहरा और ईंट-लाल रंग का भी दिखाई दे सकता है,” परांजपे ने कहा। उन्होंने बताया कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पृथ्वी का वायुमंडल नीली रोशनी को छितराता है और लाल रोशनी को चंद्रमा तक पहुंचने देता है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ज्योतिष में भले ही चंद्र ग्रहण को शुभ-अशुभ मान्यताओं से जोड़ा जाता हो, लेकिन विज्ञान की दृष्टि में यह केवल एक प्राकृतिक घटना है।

“इसमें डरने या अंधविश्वास पालने की कोई ज़रूरत नहीं है। सूर्य ग्रहण की तरह इसमें किसी विशेष चश्मे या फिल्टर की आवश्यकता नहीं होती। इसे नंगी आंखों से देखना पूरी तरह सुरक्षित है,” उन्होंने कहा।

अपने अनुभव साझा करते हुए परांजपे ने 1970 के दशक के एक चंद्र ग्रहण का ज़िक्र किया, जब ज्वालामुखीय राख के कारण चंद्रमा कुछ मिनटों के लिए बिल्कुल गायब-सा लग रहा था।

उन्होंने कहा, “ऐसे नज़ारे हमें याद दिलाते हैं कि ग्रहण आकाश में दिखाई देने वाली सबसे खूबसूरत घटनाओं में से एक है।”

परांजपे ने लोगों से आग्रह किया कि वे इस अद्भुत घटना का आनंद लें, तस्वीरें खींचें और इसे यादगार बनाएं।

“अगर आसमान साफ रहा तो यह पूरे भारत के लिए प्रकृति के सबसे शानदार नज़ारों में से एक को देखने का सुनहरा अवसर होगा,” उन्होंने कहा।

7 सितम्बर का यह चंद्र ग्रहण साल का आख़िरी और 2025 के सबसे महत्वपूर्ण खगोलीय आयोजनों में से एक माना जा रहा है।

 

With inputs from IANS