सिर्फ 4 दिन तक जंक फूड खाने से बिगड़ सकती है याददाश्त और सोचने की क्षमता: अध्ययनBy Admin Fri, 12 September 2025 10:22 AM

नई दिल्ली- क्या आपको बर्गर और फ्रेंच फ्राइज़ खाना पसंद है? तो सावधान हो जाइए। एक नए अध्ययन के अनुसार, सिर्फ चार दिन तक फैटी जंक फूड खाने से मस्तिष्क के उस हिस्से पर असर पड़ सकता है जो याददाश्त को नियंत्रित करता है, जिससे संज्ञानात्मक (कॉग्निटिव) क्षमता पर बुरा असर पड़ता है।

अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना (यूएनसी) द्वारा किए गए इस शोध में पाया गया कि फैटी जंक फूड्स का असर मस्तिष्क पर तुरंत पड़ता है, और यह वजन बढ़ने या डायबिटीज़ होने से पहले ही दिखाई देने लगता है।

अध्ययन से पता चला कि पश्चिमी शैली के जंक फूड, जिनमें संतृप्त वसा (सैचुरेटेड फैट) अधिक होता है, मोटापे से जुड़ी दीर्घकालिक याददाश्त की समस्याओं का कारण बन सकते हैं।

शोध, जो जर्नल Neuron में प्रकाशित हुआ है, के अनुसार मस्तिष्क के हिप्पोकैम्पस हिस्से में मौजूद एक विशेष प्रकार की कोशिकाएं – CCK इंटरन्यूरॉन्स – हाई-फैट डाइट (HFD) के बाद ज़रूरत से ज़्यादा सक्रिय हो जाती हैं। इसकी वजह मस्तिष्क की ग्लूकोज़ (शुगर) ग्रहण करने की क्षमता में कमी पाई गई।

मुख्य अन्वेषक और यूएनसी स्कूल ऑफ मेडिसिन में फार्माकोलॉजी की प्रोफेसर जुआन सॉन्ग ने कहा, “यह ज़्यादा सक्रियता हिप्पोकैम्पस में मेमोरी प्रोसेसिंग को बिगाड़ देती है, और यह सिर्फ कुछ दिनों की हाई-फैट डाइट के बाद ही हो जाता है।”

शोध में यह भी पता चला कि PKM2 नामक प्रोटीन, जो मस्तिष्क की कोशिकाओं में ऊर्जा उपयोग को नियंत्रित करता है, इस समस्या में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

सॉन्ग ने आगे कहा, “हमें पता था कि डाइट और मेटाबॉलिज़्म का असर मस्तिष्क पर पड़ सकता है, लेकिन यह जानकर हैरानी हुई कि हिप्पोकैम्पस की CCK इंटरन्यूरॉन्स जैसी खास और संवेदनशील कोशिकाएं इतनी जल्दी प्रभावित हो जाती हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि ग्लूकोज़ की उपलब्धता घटते ही ये कोशिकाएं तुरंत अपनी गतिविधि बदल देती हैं, और यही बदलाव मेमोरी को बिगाड़ने के लिए काफी है।”

अध्ययन में पाया गया कि चूहों को हाई-फैट डाइट देने के महज़ चार दिन बाद ही उनके मस्तिष्क की इन कोशिकाओं की गतिविधि असामान्य हो गई। हालांकि, जब मस्तिष्क में ग्लूकोज़ स्तर को सामान्य किया गया तो न्यूरॉन्स शांत हो गए और याददाश्त की समस्या भी ठीक हो गई।

शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि डाइट में बदलाव या दवाइयों के ज़रिए ऐसे न्यूरोडीजेनेरेशन (तंत्रिका ह्रास) को रोका जा सकता है। विशेष रूप से, हाई-फैट डाइट के बाद इंटरमिटेंट फास्टिंग (बीच-बीच में उपवास) जैसी तकनीकों से CCK इंटरन्यूरॉन्स को सामान्य किया जा सकता है और मेमोरी फंक्शन सुधारा जा सकता है।

 

With inputs from IANS