गर्भावस्था में लगातार उल्टी और मिचली से 50% से ज्यादा बढ़ सकता है मानसिक स्वास्थ्य का खतराBy Admin Sat, 20 September 2025 07:20 AM

नई दिल्ली- एक अध्ययन के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक मिचली और उल्टी (हाइपरएमेसिस ग्रेविडेरम) से पीड़ित महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों जैसे प्रसवोत्तर मनोविकार (पोस्टपार्टम सायकोसिस), अवसाद और पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) का खतरा 50 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ जाता है।

हाइपरएमेसिस ग्रेविडेरम (HG) गर्भावस्था के लगभग 3.6 प्रतिशत मामलों में देखा जाता है। यह गर्भावस्था की पहली तिमाही में अस्पताल में भर्ती होने का सबसे आम कारण है। ज्यादातर मामलों में यह दूसरी तिमाही में कम हो जाता है, लेकिन सभी में नहीं।

HG से जूझ रहीं महिलाओं को लंबे समय तक गंभीर उल्टी और मिचली की समस्या होती है, जिससे शरीर में पानी की कमी और वजन घटने लगता है।

यूके के शोधकर्ताओं ने द लांसेट ऑब्सटेट्रिक्स, गायनेकोलॉजी एंड वीमेन हेल्थ में प्रकाशित अध्ययन में 4,76,857 गर्भवती महिलाओं पर रिसर्च किया। इसमें 24 तरह के न्यूरोसाइकेट्रिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े प्रभावों का मूल्यांकन किया गया, जो HG के निदान के एक साल के भीतर सामने आए।

शोध में पाया गया कि HG से पीड़ित महिलाओं में पहले की तुलना में 13 मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों का खतरा 50% से अधिक बढ़ जाता है, जिनमें प्रसवोत्तर मनोविकार और PTSD शामिल हैं।

इसके अलावा, वर्निके एन्सेफैलोपैथी (विटामिन B1 की कमी से होने वाला न्यूरोलॉजिकल रोग), रिफीडिंग सिंड्रोम (कुपोषण के बाद तेजी से भोजन शुरू करने पर होने वाली जटिलताएं), ईटिंग डिसऑर्डर और डिप्रेशन (विशेषकर प्रसवोत्तर अवसाद) का जोखिम दोगुना पाया गया। प्रसवोत्तर अवसाद का खतरा 2.7 गुना तक ज्यादा पाया गया।

किंग्स कॉलेज लंदन के इंस्टीट्यूट ऑफ साइकाइट्री, साइकोलॉजी एंड न्यूरोसाइंस के डॉ. हैमिल्टन मॉरिन ने कहा, “कई गर्भवती महिलाओं को मिचली और उल्टी होती है, लेकिन HG से पीड़ित महिलाओं के लिए यह सामान्य स्तर से कहीं अधिक गंभीर होती है और बेहद कमजोर बना सकती है। ऐसी स्थितियों में मां और बच्चे की सुरक्षा के लिए तुरंत विशेषज्ञ सेवाओं की ज़रूरत होती है।”

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की नवीनतम इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीज (ICD-11) में HG को दो श्रेणियों में बांटा गया है— “माइल्ड HG” और “मेटाबोलिक डिस्टर्बेंस के साथ HG।” दूसरी श्रेणी में कार्बोहाइड्रेट की कमी, डिहाइड्रेशन या इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन जैसे लक्षण शामिल हैं।

शोधकर्ताओं ने पाया कि मेटाबोलिक डिस्टर्बेंस वाले मामलों में अवसाद का खतरा अपेक्षाकृत कम था, जबकि हल्के HG में यह अधिक पाया गया।

यह निष्कर्ष बताता है कि HG से पीड़ित सभी महिलाओं के लिए, चाहे स्थिति कितनी भी गंभीर क्यों न हो, मानसिक स्वास्थ्य की समय पर जांच और सहयोग बेहद ज़रूरी है।

 

With inputs from IANS