
नई दिल्ली- एक नए अध्ययन में पाया गया है कि मलेरिया के खिलाफ विकसित किया गया मोनोक्लोनल एंटीबॉडी सुरक्षित, आसानी से सहन करने योग्य है और उन लोगों में भी सुरक्षा प्रदान कर सकता है जिन्हें पहले कभी मलेरिया का संक्रमण नहीं हुआ।
द लैंसेट इंफेक्शियस डिज़ीज़ेस में प्रकाशित फेज़-1 रैंडमाइज्ड कंट्रोल ट्रायल में प्रयोगात्मक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी MAM01 का परीक्षण किया गया। इसमें पाया गया कि जिन्हें सबसे अधिक खुराक दी गई, उन तीन प्रतिभागियों के खून में 26 हफ्तों तक मलेरिया परजीवी मौजूद नहीं थे।
“मलेरिया-नवीन” (malaria-naïve) उन व्यक्तियों को कहा जाता है जिन्हें पहले कभी मलेरिया का संक्रमण नहीं हुआ और जिनमें बीमारी के प्रति प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं होती।
अध्ययन की प्रमुख लेखिका प्रोफेसर किर्स्टन ई. लाइक, सेंटर फॉर वैक्सीन डेवलपमेंट एंड ग्लोबल हेल्थ, यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड, ने कहा, “हालांकि नए टीके उपलब्ध हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा क्षमता पर्याप्त नहीं है। प्लाज़्मोडियम फाल्सीपेरम परजीवी के सतही प्रोटीन को लक्षित करने वाले मोनोक्लोनल एंटीबॉडी रोकथाम को आसान बना सकते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “MAM01 सुरक्षित साबित हुआ, सुरक्षा मानकों पर खरा उतरा और मलेरिया-नवीन वयस्कों में कंट्रोल्ड ह्यूमन मलेरिया इंफेक्शन मॉडल के जरिए सुरक्षा प्रदान करने का प्रमाण दिया।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, वर्ष 2023 में मलेरिया से दुनियाभर में अनुमानित 26.3 करोड़ लोग प्रभावित हुए और 5.97 लाख मौतें दर्ज की गईं। पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे सबसे अधिक जोखिम में हैं और अधिकांश मौतें इसी आयु वर्ग में होती हैं।
अध्ययन में 18 से 50 वर्ष आयु के 37 मलेरिया-नवीन वयस्कों को अगस्त 2023 से दिसंबर 2024 के बीच MAM01 या प्लेसीबो की एकल खुराक दी गई।
परिणामों में पाया गया कि दवा देने के बाद कोई गंभीर दुष्प्रभाव सामने नहीं आया। हालांकि संक्रमण के बाद नियंत्रण समूह के सभी 6 प्रतिभागियों और MAM01 समूह के 22 में से 18 प्रतिभागियों में मलेरिया परजीवी पाए गए।
लेकिन शोधकर्ताओं के अनुसार, “40 mg/kg की सबसे अधिक खुराक लेने वाले तीनों प्रतिभागियों में परजीवी का संक्रमण बिल्कुल विकसित नहीं हुआ। फार्माकोकिनेटिक विश्लेषण से स्पष्ट हुआ कि यदि सीरम में MAM01 का स्तर 88 माइक्रोग्राम/मिलीलीटर से अधिक हो, तो मलेरिया संक्रमण से सुरक्षा मिल सकती है।”
With inputs from IANS