अध्ययन में खुलासा: चिकनगुनिया के प्रकोप का आकार और गंभीरता अप्रत्याशितBy Admin Sun, 05 October 2025 05:31 AM

नई दिल्ली- एक नए अध्ययन में पाया गया है कि चिकनगुनिया — जो मच्छर जनित बीमारी है — उसके प्रकोप का आकार और गंभीरता का अनुमान लगाना बेहद मुश्किल है।

यह वायरस एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका जैसे उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में आम है। इसके संक्रमण से तीव्र बुखार और जोड़ों में तेज दर्द होता है, जो कई महीनों तक बना रह सकता है।

हालांकि चिकनगुनिया से मृत्यु के मामले दुर्लभ हैं, लेकिन यह नवजात शिशुओं और बुजुर्गों जैसे उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए अधिक गंभीर हो सकता है।

अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ नोट्रे डेम के शोधकर्ताओं ने Science Advances पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में चिकनगुनिया वायरस के 80 से अधिक प्रकोपों का विश्लेषण किया, ताकि भविष्य के संक्रमणों की भविष्यवाणी करने और वैक्सीन परीक्षणों की रणनीति तैयार करने में मदद मिल सके।

विश्वविद्यालय के जैविक विज्ञान विभाग के संक्रामक रोग महामारी विज्ञान के प्रोफेसर एलेक्स पर्किन्स ने कहा,
“चिकनगुनिया के प्रकोप आकार और गंभीरता दोनों में अप्रत्याशित होते हैं। एक जगह पर कुछ ही लोग संक्रमित हो सकते हैं, जबकि समान परिस्थितियों में दूसरी जगह हजारों लोग प्रभावित हो सकते हैं। यही अनिश्चितता सार्वजनिक स्वास्थ्य योजना और वैक्सीन विकास को चुनौतीपूर्ण बनाती है।”

अध्ययन के लिए टीम ने 86 प्रकोपों का पुनर्निर्माण और विश्लेषण किया, जिससे अब तक का सबसे बड़ा तुलनात्मक डेटा सेट तैयार हुआ।

चिकनगुनिया वायरस की पहचान पहली बार 1950 के दशक में हुई थी। इसके बाद से इसके प्रकोप अधिक बार और व्यापक रूप से होने लगे हैं, लेकिन यह अभी भी अस्थिर और अप्रत्याशित हैं, जिससे स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए इसकी रोकथाम और योजना बनाना कठिन हो जाता है।

संक्रमण मुख्य रूप से संक्रमित मच्छरों — एडीज़ एजिप्टी या एडीज़ एल्बोपिक्टस — के काटने से फैलता है। अक्सर इसे जलवायु परिवर्तन से जोड़ा जाता है क्योंकि गर्म और आर्द्र वातावरण मच्छरों की सक्रियता बढ़ाता है।

हालांकि पर्किन्स ने बताया कि अध्ययन के निष्कर्षों से यह स्पष्ट हुआ कि जलवायु परिवर्तन ही इसका मुख्य निर्धारक नहीं है।

उन्होंने कहा, “तापमान और वर्षा जैसे जलवायु कारक यह बता सकते हैं कि कहां प्रकोप संभव है, लेकिन वे यह अनुमान लगाने में ज्यादा मदद नहीं करते कि यह कितना गंभीर होगा। स्थानीय परिस्थितियां—जैसे आवास की गुणवत्ता, मच्छरों की घनत्व और समुदाय की प्रतिक्रिया—महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। कुछ अंतर तो केवल संयोगवश होते हैं, और यह भी कहानी का हिस्सा है।”

 

With inputs from IANS