वियरेबल्स और ईवी को ऊर्जा देने के लिए नागालैंड यूनिवर्सिटी ने विकसित किया नया लचीला सुपरकैपेसिटर, घटेगी आयातित बैटरियों पर निर्भरताBy Admin Mon, 06 October 2025 09:07 AM

नई दिल्ली — नागालैंड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक लचीला (फ्लेक्सिबल) सुपरकैपेसिटर डिवाइस विकसित किया है, जो आने वाली पीढ़ी के वियरेबल इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) और नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों को शक्ति प्रदान कर सकता है। यह उपलब्धि देश में ऊर्जा भंडारण तकनीकों को बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।

भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) बेंगलुरु के सहयोग और अनुसंधान कोष (ANRF) द्वारा वित्तपोषित इस शोध से भारत को आयातित बैटरियों पर निर्भरता कम करने में मदद मिल सकती है, साथ ही आत्मनिर्भर भारत के तहत स्वच्छ ऊर्जा और भंडारण तकनीकों को बढ़ावा मिलेगा।

प्रयोगशाला-स्तर के अनुसंधान से आगे बढ़ते हुए, टीम ने फ्लेक्सिबल सुपरकैपेसिटर का एक कार्यशील प्रोटोटाइप तैयार किया है, जिससे इसकी व्यावहारिक उपयोगिता साबित होती है।

टीम के अनुसार, यह नवाचार स्वास्थ्य निगरानी उपकरणों, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) गैजेट्स और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में तुरंत उपयोगी हो सकता है, जबकि भविष्य में इसका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों में भी किया जा सकता है। यह शोध RSC Advances नामक प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

ऐसे फ्लेक्सिबल सुपरकैपेसिटर पुनर्योजी ब्रेकिंग सिस्टम को बेहतर बना सकते हैं, तेज़ गति से एक्सेलेरेशन में मदद कर सकते हैं और बैटरियों की उम्र बढ़ा सकते हैं।

नागालैंड यूनिवर्सिटी के भौतिकी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. विजेथ एच ने कहा, “यह डिवाइस लचीलापन, उच्च ऊर्जा भंडारण क्षमता और मजबूती को एक साथ जोड़ता है, जो भविष्य के पोर्टेबल और वियरेबल टेक्नोलॉजी के लिए बेहद आवश्यक हैं। यह अध्ययन पहली बार मोलिब्डेनम डाइसेलेनाइड में टंग्स्टन, वैनाडियम और कोबाल्ट डोपिंग की तुलना करता है, जिसमें कोबाल्ट सबसे प्रभावी साबित हुआ।”

उन्होंने आगे कहा, “यह शोध भारत को सतत और आत्मनिर्भर ऊर्जा समाधान की दिशा में आगे बढ़ाता है।”

नागालैंड यूनिवर्सिटी के लुमामी कैंपस स्थित एडवांस्ड मटीरियल्स फॉर डिवाइस एप्लीकेशंस (AMDA) रिसर्च लैब में तैयार किए गए इस डिवाइस में कोबाल्ट-डोप्ड मोलिब्डेनम डाइसेलेनाइड नामक अत्याधुनिक द्वि-आयामी (2D) पदार्थ का उपयोग किया गया है।

यह डिवाइस 34.54 Wh/kg की उच्च ऊर्जा घनत्व प्रदान करता है और 10,000 चार्ज-डिस्चार्ज चक्रों के बाद भी स्थिर रहता है। साथ ही, बार-बार मोड़ने या घुमाने के बाद भी इसका प्रदर्शन प्रभावित नहीं होता।

वियरेबल उपकरणों, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और नवीकरणीय ऊर्जा के तेजी से विस्तार के बीच, विश्वसनीय और कुशल ऊर्जा भंडारण उपकरणों की मांग तेजी से बढ़ रही है। लचीलापन, मजबूती और उच्च ऊर्जा घनत्व के संयोजन के साथ, यह शोध ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है।

भौतिकी विभाग की शोधार्थी पेव-यू मारहु ने कहा, “अगले चरण में हम इलेक्ट्रोड-इलेक्ट्रोलाइट इंटरफेस को बेहतर बनाने, ठोस-स्थिति जेल इलेक्ट्रोलाइट्स के जरिए सुरक्षा बढ़ाने और इस प्रक्रिया को पायलट स्तर तक स्केल-अप करने पर काम करेंगे। उद्योग जगत के साथ सहयोग की भी संभावनाएं तलाश की जा रही हैं, ताकि इस तकनीक को व्यावसायिक रूप से आगे लाया जा सके।”

 

With inputs from IANS