भारत 2047 तक वैश्विक शीर्ष 5 शिपबिल्डिंग राष्ट्रों में शामिल होने के लक्ष्य के तहत दक्षिण कोरिया के साथ जहाज निर्माण सहयोग मजबूत करेगाBy Admin Tue, 07 October 2025 06:39 AM

सियोल/नई दिल्ली- भारत ने जहाज निर्माण (शिपबिल्डिंग) क्षेत्र में दक्षिण कोरिया के साथ सहयोग को और गहरा करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। केंद्र का लक्ष्य है कि वर्ष 2047 तक भारत दुनिया के शीर्ष पांच जहाज निर्माण करने वाले देशों में शामिल हो। भारत के पोत, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय के सचिव टी.के. रामचंद्रन ने यह जानकारी दी।

रामचंद्रन ने हाल ही में नई दिल्ली में दक्षिण कोरिया, जापान और अन्य देशों के पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भारत, दक्षिण कोरिया के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार बन सकता है, क्योंकि जहां भारत के पास पर्याप्त प्रशिक्षित जनशक्ति है, वहीं दक्षिण कोरिया के पास उन्नत तकनीक मौजूद है।

उन्होंने कहा, “हमारी एकमात्र चुनौती यह है कि हमें तकनीक और प्रशिक्षण मॉड्यूल अन्य देशों से प्राप्त करने होंगे। इसी कारण हम दक्षिण कोरिया और जापान जैसे शीर्ष शिपबिल्डिंग देशों के साथ सहयोग कर रहे हैं। उनके पास तकनीकी दक्षता है, लेकिन जनशक्ति की कमी है।”

रामचंद्रन ने बताया कि दक्षिण कोरिया के शिपयार्ड पहले से ही अपनी पूरी क्षमता पर काम कर रहे हैं, जिससे भारत के लिए सहयोग की बड़ी संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा, “उनके कई शिपयार्ड 2028 तक के लिए पूरी तरह बुक हैं। उनके पास ऑर्डर हैं, लेकिन जहाज निर्माण के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। ऐसे में भारत एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में उभर सकता है।”

भारत सरकार ने “मैरिटाइम अमृत काल विजन 2047” के तहत 2030 तक वैश्विक शिपबिल्डिंग रैंकिंग में शीर्ष 10 में और 2047 तक शीर्ष 5 में पहुंचने का लक्ष्य रखा है।

24 सितंबर को केंद्र सरकार ने 69,700 करोड़ रुपये (लगभग 8 अरब अमेरिकी डॉलर) के पैकेज को मंजूरी दी, जिससे देश के शिपबिल्डिंग और समुद्री क्षेत्र को पुनर्जीवित किया जाएगा और घरेलू जहाज निर्माण क्षमता को बढ़ाया जाएगा।

रामचंद्रन ने कहा, “शिपबिल्डिंग अब हमारे लिए केवल व्यावसायिक नहीं बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। पारंपरिक रूप से भारत के पास विश्व के कुल शिपिंग टनेज का एक प्रतिशत से भी कम हिस्सा रहा है।”

उन्होंने बताया कि भारत के कुल आयात और निर्यात का लगभग 95 प्रतिशत विदेशी झंडाधारी जहाजों पर निर्भर करता है, जबकि केवल 5 प्रतिशत माल भारतीय जहाजों के माध्यम से परिवहन होता है।

“हम इस स्थिति को बदलने की दिशा में काम कर रहे हैं, और इसके लिए विदेशी देशों के साथ साझेदारी कर रहे हैं,” उन्होंने कहा।

इसी दिशा में, भारत ने हाल ही में दक्षिण कोरिया और जापान जैसे प्रमुख शिपबिल्डिंग देशों के साथ साझेदारी को मजबूत करने की पहल की है। नवंबर के अंत से दिसंबर की शुरुआत तक रामचंद्रन के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने दक्षिण कोरिया में हनवा ओशन (Geoje), सैमसंग हेवी इंडस्ट्रीज और एचडी हुंडई हेवी इंडस्ट्रीज (Ulsan) के शिपयार्ड का दौरा किया, ताकि सहयोग के नए अवसरों की खोज की जा सके।

दक्षिण कोरिया वर्तमान में जापान और चीन के साथ दुनिया के शीर्ष तीन शिपबिल्डिंग देशों में शामिल है और यहां एचडी हुंडई हेवी इंडस्ट्रीज, सैमसंग हेवी इंडस्ट्रीज और हनवा ओशन जैसी विश्व प्रसिद्ध कंपनियां स्थित हैं।

रामचंद्रन ने कहा कि भारत 2030 तक अपने जहाजों की संख्या 1,500 से बढ़ाकर 2,500 करने और देश की स्वदेशी नौवहन क्षमता को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत तथा 2047 तक लगभग 70 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य रखता है।

उन्होंने बताया कि कोविड महामारी और यूक्रेन युद्ध जैसे वैश्विक संकटों के दौरान कंटेनर फ्रेट दरें 2,000 डॉलर से बढ़कर 15,000 डॉलर तक पहुंच गईं, जिससे भारत की बाहरी निर्भरता की कमजोरियां उजागर हुईं।

उन्होंने कहा, “जहाजों का स्वामित्व, निर्माण और पंजीकरण — ये तीनों पहलू हमारे लिए न केवल आर्थिक रूप से व्यावहारिक हैं बल्कि रणनीतिक रूप से भी आवश्यक हैं।”

लंदन स्थित फिनएक्स्ट्रा रिसर्च के अनुसार, भारत का शिपबिल्डिंग बाजार 2022 में 90 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2033 तक 8.12 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत के कुल व्यापार का लगभग 95 प्रतिशत मात्रा के आधार पर और 70 प्रतिशत मूल्य के आधार पर समुद्री क्षेत्र से ही संचालित होता है, जिससे यह भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनता है।

 

With inputs from IANS