भारत के आईडी टेक इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए UIDAI ने शुरू किया ‘सिटा’ (SITAA) कार्यक्रमBy Admin Fri, 17 October 2025 07:05 AM

नई दिल्ली। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने शुक्रवार को ‘स्कीम फॉर इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी एसोसिएशन विद आधार (SITAA)’ की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य डिजिटल पहचान के क्षेत्र में नवाचार और सहयोग को बढ़ावा देना है।

यह योजना स्टार्टअप्स, शिक्षण संस्थानों और उद्योग जगत के बीच साझेदारी को प्रोत्साहित करेगी, जिससे भारत के आईडी टेक इकोसिस्टम को और अधिक मजबूत बनाया जा सके। आधिकारिक बयान के अनुसार, सिटा के पायलट कार्यक्रम के लिए आवेदन 15 नवंबर तक खुले रहेंगे।

बयान में कहा गया,
“पायलट के तहत प्रारंभिक चरण में कुछ चुनौतियाँ निर्धारित की गई हैं, जो विशेष रूप से शैक्षणिक संस्थानों, स्टार्टअप्स और उद्योग साझेदारों के लिए उपयुक्त होंगी। सभी पात्र संस्थाओं को, जो नवोन्मेषी समाधान प्रस्तुत करती हैं, इस कार्यक्रम में आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।”

इस पहल का उद्देश्य सुरक्षित, स्केलेबल और स्वदेशी पहचान प्रौद्योगिकियों का सह-विकास करना है, जिसमें बायोमेट्रिक उपकरण, प्रमाणीकरण फ्रेमवर्क, डेटा गोपनीयता, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और सुरक्षित पहचान अनुप्रयोगों जैसे क्षेत्र शामिल हैं।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) स्टार्टअप हब तथा नासकॉम (NASSCOM) ने UIDAI के साथ एमओयू (MOU) पर हस्ताक्षर किए हैं। ये संगठन सिटा कार्यक्रम के लिए तकनीकी मार्गदर्शन, इनक्यूबेशन, एक्सेलेरेटर सहायता, औद्योगिक संपर्क और वैश्विक पहुंच उपलब्ध कराएंगे।

रिलीज़ में कहा गया है कि सिटा कार्यक्रम ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर’ जैसे राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप है, जो भविष्य के लिए तैयार, सुरक्षित और स्केलेबल पहचान समाधानों की श्रृंखला तैयार करेगा।

पायलट चरण मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों पर केंद्रित है —

फेस लाइवनेस डिटेक्शन (Face Liveness Detection)

प्रेजेंटेशन अटैक डिटेक्शन (PAD)

कॉन्टैक्टलेस फिंगरप्रिंट ऑथेंटिकेशन

फेस लाइवनेस डिटेक्शन से जुड़ी चुनौती के तहत स्टार्टअप्स को ऐसे सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट किट्स (SDKs) विकसित करने के लिए आमंत्रित किया गया है, जो विभिन्न स्रोतों से होने वाले स्पूफिंग हमलों को रोक सकें और UIDAI की एनरोलमेंट व ऑथेंटिकेशन प्रणालियों में उपयोगी हों।

इसी तरह, शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों से प्रेजेंटेशन अटैक डिटेक्शन (PAD) के उन्नत समाधान विकसित करने के प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं, जिससे आधार-आधारित फेस ऑथेंटिकेशन इकोसिस्टम को मजबूत किया जा सके।

साथ ही, ऐसे SDKs विकसित करने के प्रस्ताव भी मांगे गए हैं जो स्मार्टफोन कैमरा या कम लागत वाले इमेजिंग उपकरणों की मदद से कॉन्टैक्टलेस फिंगरप्रिंट ऑथेंटिकेशन को सक्षम बना सकें।

 

With inputs from IANS