
नई दिल्ली — अमेरिकी टेक दिग्गज गूगल ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह भारत में विकसित अपने दो कृषि एआई टूल्स — एग्रीकल्चरल लैंडस्केप अंडरस्टैंडिंग (ALU) एपीआई और एग्रीकल्चरल मॉनिटरिंग एंड इवेंट डिटेक्शन (AMED) एपीआई — को अब एशिया-प्रशांत (APAC) क्षेत्र के देशों मलेशिया, वियतनाम, इंडोनेशिया और जापान में “विश्वसनीय परीक्षकों” (trusted testers) के लिए उपलब्ध करा रहा है।
ALU एपीआई, जिसे अक्टूबर 2024 में भारत के डेवलपर्स के लिए लॉन्च किया गया था, खेतों, जल स्रोतों और वनस्पति सीमाओं की पहचान करने में सक्षम है। वहीं, AMED एपीआई इस प्रणाली को और उन्नत बनाती है — यह खेत-स्तर पर प्रमुख फसलों, उनकी बुवाई और कटाई के समय की जानकारी देती है। यह डाटा हर 15 दिनों में अपडेट होता है, जिससे कृषि घटनाओं की पहचान आसान होती है।
गूगल के अनुसार, ये दोनों एपीआई रिमोट सेंसिंग और मशीन लर्निंग तकनीक का उपयोग करके स्थानीय कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को सटीक, किफायती और उपयोगी समाधान विकसित करने में मदद करती हैं।
गूगल डीपमाइंड में कृषि और सततता अनुसंधान के प्रमुख आलोक तालेकर ने कहा,
“इन स्थानीय उपयोग मामलों ने हमारे उस लक्ष्य को साकार किया है जिसमें एआई के ज़रिए सटीक और डाटा-आधारित समाधान तैयार किए जाएँ जो भारत की कृषि व्यवस्था के सभी हितधारकों के लिए उपयोगी हों।”
कंपनी ने भारत में इन एपीआई के सफल उपयोग को क्षेत्रीय विस्तार का आधार बताया। गूगल ने कहा कि इन तकनीकों ने स्टार्टअप्स, सरकारी परियोजनाओं और अनुसंधान संस्थानों को कृषि क्षेत्र में स्थायित्व और लचीलापन बढ़ाने में मदद की है।
इन मॉडलों से प्राप्त आंकड़े प्रिसिशन एग्रीकल्चर (Precision Agriculture) टूल्स के विकास, संसाधनों के अनुकूल उपयोग और खेत प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए आधारभूत स्तर की जानकारी प्रदान करते हैं।
भारत में, कृषि मंत्रालय के लिए अमनेक्स प्लेटफ़ॉर्म ‘कृषि DSS’ में इन एपीआई का एकीकरण किया जा रहा है ताकि नीति निर्माताओं और फील्ड अधिकारियों को उन्नत एनालिटिक्स की सुविधा मिल सके।
काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (CEEW) इन एपीआई का उपयोग जलवायु-अनुकूल फसलों को बढ़ावा देने वाले लक्षित आय-सहायता तंत्र विकसित करने के लिए कर रही है। गूगल ने बताया कि कई स्टार्टअप्स इन एपीआई का उपयोग 1 करोड़ से अधिक किसानों तक क्लाइमेट-स्मार्ट सलाह पहुँचाने और ग्रामीण ऋण प्रक्रियाओं को अधिक कुशल बनाने में कर रहे हैं।
With inputs from IANS