सरकार ने ‘राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार’ की घोषणा की, वैज्ञानिक उपलब्धियों को मिला नया सम्मानBy Admin Tue, 28 October 2025 12:35 PM

नई दिल्ली — भारत की वैज्ञानिक समुदाय को पिछले सप्ताह बड़ा सम्मान मिला जब सरकार ने *राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार (Rashtriya Vigyan Puraskar - RVP) 2025* की घोषणा की। इस वर्ष 24 उत्कृष्ट वैज्ञानिकों और एक अग्रणी शोध दल को उनके परिवर्तनकारी योगदानों के लिए सम्मानित किया जाएगा।

यह पुरस्कार श्रृंखला देश के *‘विकसित भारत’* के विज़न को साकार करने के लिए विज्ञान और नवाचार की भावना को केंद्र में रखती है।

सबसे उच्च श्रेणी का सम्मान है *विज्ञान रत्न (Vigyan Ratna)* — जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। इसे 2023 में स्थापित किया गया था और पहली बार 2024 में प्रख्यात जैव रसायनज्ञ *डॉ. गोविंदराजन पद्मनाभन* को प्रदान किया गया था, जिन्होंने *मलेरिया परजीवी प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम* पर अपने दशकों के शोध से दवा प्रतिरोध की प्रक्रिया को समझाया और वैश्विक एंटी-मलेरियल रणनीतियों को दिशा दी।

यह पुरस्कार हर वर्ष *राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस (23 अगस्त)* को प्रदान किया जाता है और यह विज्ञान में आजीवन उत्कृष्टता के लिए भारत रत्न के समान प्रतिष्ठा रखता है।

इस शीर्ष सम्मान के साथ तीन अन्य श्रेणियां भी शामिल हैं —

* **विज्ञान श्री (Vigyan Shri):** आठ वरिष्ठ वैज्ञानिकों को उनके सतत शोध योगदानों के लिए चुना गया है, जिनमें क्वांटम मटेरियल्स से लेकर सतत कृषि तक के क्षेत्र शामिल हैं।
* **विज्ञान युवा – शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार:** 45 वर्ष से कम आयु के 14 युवा वैज्ञानिकों को यह सम्मान दिया जाएगा। यह प्रतिष्ठित *भटनागर पुरस्कार* का नया रूप है, जिसका उद्देश्य देश के भावी वैज्ञानिक नेताओं को प्रोत्साहित करना है।
* **विज्ञान टीम पुरस्कार (Vigyan Team Award):** इस वर्ष का एकमात्र टीम पुरस्कार *सीएसआईआर अरोमा मिशन* को मिला है — जिसने 26 राज्यों में 60,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सुगंधित फसलों की खेती को पुनर्जीवित किया, 50,000 से अधिक किसानों को उच्च उत्पादकता वाली *लैवेंडर, रोज़मेरी* और *लेमनग्रास* प्रजातियों के माध्यम से सशक्त बनाया और 2017 से अब तक ₹1,200 करोड़ का ग्रामीण राजस्व उत्पन्न किया।

2025 के विजेताओं में भारत के बढ़ते वैज्ञानिक प्रभाव की झलक दिखाई देती है।
विज्ञान श्री प्राप्तकर्ताओं में एक *क्लाइमेट मॉडलर* शामिल हैं, जिनके एआई आधारित मानसून पूर्वानुमानों से ओडिशा में 18% फसल क्षति कम हुई है; वहीं एक *मटेरियल साइंटिस्ट* ने कृषि अपशिष्ट से बायोडिग्रेडेबल पॉलिमर विकसित किया है, जो अब मेडिकल इम्प्लांट्स के लिए बड़े पैमाने पर उपयोग की दिशा में है।

युवा पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं में पुणे के *जायंट मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप* में *फास्ट रेडियो बर्स्ट्स* का विश्लेषण करने वाले 38 वर्षीय खगोल वैज्ञानिक और तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों में फील्ड ट्रायल में चल रहे *नमक-सहिष्णु धान प्रजातियों* पर काम कर रहे 41 वर्षीय बायोटेक्नोलॉजिस्ट शामिल हैं।

2023 में शुरू हुई यह योजना पहले की 16 बिखरी हुई विज्ञान पुरस्कार योजनाओं को एकीकृत करती है, जिससे चयन प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और सरल बन गई है।

नामांकन की समीक्षा 300-सदस्यीय *सर्च-कम-सेलेक्शन कमेटी* द्वारा की जाती है, जिसकी अध्यक्षता भारत सरकार के *प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद* करते हैं।

आरवीपी में नकद राशि नहीं दी जाती — इसके बजाय सम्मान पत्र (सनद), प्रशस्ति-पत्र और *पंचधातु* से बनी एक पदक प्रदान की जाती है, जो पांच तत्वों की एकता का प्रतीक है।

पुरस्कार राष्ट्रपति *द्रौपदी मुर्मू* द्वारा *राष्ट्रीय विज्ञान दिवस* (28 फरवरी, 2026) को *राष्ट्रपति भवन* में प्रदान किए जाएंगे।

जैसे-जैसे भारत 2047 तक *1 ट्रिलियन डॉलर* के अनुसंधान अर्थतंत्र का लक्ष्य रख रहा है, *राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार* न केवल पिछली उपलब्धियों का उत्सव है, बल्कि विज्ञान को विकास के केंद्र में लाने की राष्ट्रीय प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है।

— आईएएनएस