वैक्सीन और ऑटिज्म के बीच संबंध की धारणा व्यक्तिगत पूर्वाग्रह और अंधविश्वास से प्रेरित: विशेषज्ञBy Admin Wed, 29 October 2025 01:53 PM

नई दिल्ली — स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बुधवार को कहा कि व्यक्तिगत पूर्वाग्रह और अंधविश्वास बार-बार इस झूठे दावे को हवा दे रहे हैं कि बचपन में दी जाने वाली वैक्सीन से ऑटिज्म (एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति) का खतरा बढ़ता है।

हाल ही में अमेरिका स्थित मैककलॉ फाउंडेशन की एक स्व-प्रकाशित रिपोर्ट में दावा किया गया कि टीकाकरण “ऑटिज्म का सबसे प्रमुख रोकथाम योग्य कारण” है।

यह रिपोर्ट पीयर-रिव्यू (वैज्ञानिक समीक्षा) से नहीं गुज़री है, फिर भी इसे कई एंटी-वैक्सीन समर्थकों, जिनमें Zoho के संस्थापक श्रीधर वेंबू भी शामिल हैं, ने समर्थन दिया है।

भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए), कोच्चि के डॉ. राजीव जयदेवन ने आईएएनएस से कहा,
“कई लोग वैक्सीन-विरोधी रुख अपनाते हैं। महामारी के शुरुआती दौर में हमने देखा कि इस तरह की प्रचार सामग्री के कारण लाखों लोग टीका लगवाने से डर गए और गंभीर कोविड संक्रमण से उनकी जान चली गई।”

उन्होंने आगे कहा, “दुर्भाग्यवश, कुछ वर्गों में विज्ञान-विरोधी विचार एक ‘फ़ैशन’ बन गए हैं — जो व्यक्तिगत पूर्वाग्रह, अंधविश्वास और षड्यंत्र सिद्धांतों के प्रति आकर्षण से प्रेरित हैं।”

यह रिपोर्ट Zenodo प्लेटफ़ॉर्म पर प्रकाशित की गई है, न कि किसी वैज्ञानिक पत्रिका में। इसमें बच्चों के टीकाकरण कार्यक्रमों पर सवाल उठाए गए हैं — जो बीमारियों और मृत्यु दर को कम करने के लिए बनाए गए हैं।

एम्स, नई दिल्ली की बाल न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. शेफाली गुलाटी ने कहा कि बचपन के टीकाकरण के जीवनरक्षक लाभों के बावजूद, टीका झिझक (vaccine hesitancy) कोविड-19 के बाद के दौर में एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

जर्नल Autism में प्रकाशित अपने एक संपादकीय लेख में डॉ. गुलाटी ने उल्लेख किया कि कोविड के बाद अमेरिका और यूरोप में खसरा (measles) जैसी वैक्सीन-रोकथामी बीमारियों में दोबारा वृद्धि देखी गई है।

उन्होंने कहा, “इस झिझक का एक प्रमुख कारण वह पुराना मिथक है कि वैक्सीन ऑटिज्म का कारण बनती है — यह धारणा पूरी तरह गलत साबित हो चुकी है, फिर भी सार्वजनिक विमर्श से गायब नहीं होती।”

एंटी-वैक्सीन आंदोलन की शुरुआत 1998 में द लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित डॉ. एंड्रयू वेकफील्ड के एक झूठे शोधपत्र से हुई थी, जिसमें वैक्सीन और ऑटिज्म के बीच संबंध का दावा किया गया था।

डॉ. जयदेवन ने बताया, “हालांकि उस पेपर को बाद में वापस ले लिया गया, लेकिन तब तक नुकसान हो चुका था। कई लोग आज भी मानते हैं कि वैक्सीन से ऑटिज्म होता है, जबकि अनेक ठोस अध्ययनों में ऐसा कोई संबंध नहीं पाया गया।”

उन्होंने यह भी बताया कि “आश्चर्य की बात है कि वेकफील्ड इस नई मैककलॉ फाउंडेशन रिपोर्ट के सह-लेखकों में शामिल हैं, जबकि यह कोई पीयर-रिव्यू अध्ययन नहीं है, बल्कि विचारों, कमजोर रिपोर्टों और असली अध्ययनों का मिश्रण है — जिसे वैज्ञानिक दृष्टि से मान्य नहीं माना जा सकता।”

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि इस तरह की भ्रामक सूचनाएं गंभीर परिणाम ला सकती हैं, जब माता-पिता अपने बच्चों को टीका लगाने से इनकार करते हैं और ‘घातक लेकिन रोकी जा सकने वाली बीमारियां’ फिर से लौट आती हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, पिछले 50 वर्षों में वैश्विक टीकाकरण अभियानों ने लगभग 15.4 करोड़ लोगों की जान बचाई है, जिनमें से अधिकांश एक वर्ष से कम उम्र के बच्चे थे।

डॉ. गुलाटी ने स्वास्थ्य पेशेवरों से अपील की कि वे सहानुभूति और स्पष्ट संवाद के साथ वैक्सीन झिझक को दूर करें — माता-पिता की चिंताओं को समझते हुए उन्हें वैज्ञानिक तथ्यों से अवगत कराएं।

 

With inputs from IANS