भारतीय नौसेना की अंतरिक्ष आधारित संचार क्षमताओं को सशक्त बनाएगा स्वदेशी जीसैट-7आर उपग्रहBy Admin Mon, 03 November 2025 04:27 AM

नई दिल्ली — भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) रविवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारतीय नौसेना का संचार उपग्रह जीसैट-7आर (सीएमएस-03) प्रक्षेपित करने जा रहा है। यह उपग्रह नौसेना की अंतरिक्ष आधारित संचार व्यवस्था और समुद्री क्षेत्र जागरूकता (Maritime Domain Awareness) क्षमताओं को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाएगा।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, जीसैट-7आर भारतीय नौसेना के लिए अब तक का सबसे उन्नत संचार उपग्रह होगा। इसे पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से डिज़ाइन और विकसित किया गया है।

लगभग 4,400 किलोग्राम वजनी यह उपग्रह भारत का अब तक का सबसे भारी संचार उपग्रह है, जिसमें कई अत्याधुनिक देशी अवयव शामिल किए गए हैं, जो विशेष रूप से नौसेना की परिचालन आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर विकसित किए गए हैं।

भारतीय महासागर क्षेत्र में मज़बूत संचार कवरेज

मंत्रालय ने बताया कि जीसैट-7आर उपग्रह भारतीय महासागर क्षेत्र (IOR) में मज़बूत टेलीकम्युनिकेशन कवरेज प्रदान करेगा। इसके पेलोड में वॉयस, डेटा और वीडियो लिंक सपोर्ट करने वाले मल्टी-बैंड ट्रांसपोंडर शामिल हैं।

यह उपग्रह उच्च क्षमता वाले बैंडविड्थ के साथ नौसेना के जहाज़ों, विमानों, पनडुब्बियों और समुद्री संचालन केंद्रों (Maritime Operations Centres) के बीच सुरक्षित और निर्बाध संचार स्थापित करेगा।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम

वर्तमान जटिल सुरक्षा माहौल में, जीसैट-7आर भारतीय नौसेना की तकनीकी आत्मनिर्भरता और समुद्री हितों की रक्षा के संकल्प का प्रतीक है। इसरो ने कहा,

“सीएमएस-03 एक मल्टी-बैंड कम्युनिकेशन सैटेलाइट है जो भारतीय भूभाग सहित विस्तृत समुद्री क्षेत्र में सेवाएं प्रदान करेगा।”

एलवीएम3 रॉकेट से प्रक्षेपण

इस मिशन के लिए इसरो का एलवीएम3 रॉकेट (LVM3-M5) इस्तेमाल किया जा रहा है — जो भारत का सबसे भारी प्रक्षेपण यान है और 4,000 किलोग्राम तक का भार अंतरिक्ष में ले जाने में सक्षम है।

इसी रॉकेट ने चंद्रयान-3 मिशन को सफलतापूर्वक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतारा था, जिससे भारत इस क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला देश बना।

इसरो ने बताया कि

“लॉन्च व्हीकल को पूरी तरह असेंबल और स्पेसक्राफ्ट के साथ एकीकृत कर 26 अक्तूबर को लॉन्च पैड पर स्थानांतरित कर दिया गया है।”

‘रुक्मिणी’ का उत्तराधिकारी

जीसैट-7आर उपग्रह विशेष रूप से भारतीय नौसेना के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह 2013 में प्रक्षेपित जीसैट-7 ‘रुक्मिणी’ का उत्तराधिकारी होगा। उन्नत पेलोड्स के साथ यह उपग्रह सुरक्षित मल्टी-बैंड संचार नेटवर्क को और विस्तारित करेगा तथा नौसेना की संचालन क्षमता और रणनीतिक पहुंच को सुदृढ़ बनाएगा।

सीएमएस-03 में C, एक्सटेंडेड C और Ku बैंड पर वॉयस, डेटा और वीडियो लिंक के लिए ट्रांसपोंडर शामिल हैं।

 

With inputs from IANS