चंद्रयान-2 से मिली उन्नत ध्रुवीय जानकारी, भविष्य के चंद्र अन्वेषण में मददगार साबित होगी: इसरोBy Admin Mon, 10 November 2025 07:36 AM

नई दिल्ली — भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शनिवार को घोषणा की कि उसे चंद्रयान-2 ऑर्बिटर से चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों से जुड़ी उन्नत डेटा जानकारी प्राप्त हुई है। इनमें चंद्र सतह के भौतिक और डायइलेक्ट्रिक (विद्युत गुण) से संबंधित नए पैरामीटर शामिल हैं, जो भविष्य के वैश्विक चंद्र अन्वेषण में अहम भूमिका निभाएंगे।

इसरो ने ‘एक्स’ (X) पर पोस्ट करते हुए कहा कि ये नए पैरामीटर “भविष्य में चंद्रमा के वैश्विक अन्वेषण के लिए भारत का बड़ा योगदान” हैं।

2019 से चंद्र कक्षा में परिक्रमा कर रहा चंद्रयान-2 ऑर्बिटर अब तक लगभग 1,400 रडार डेटा सेट्स और उच्च गुणवत्ता वाले डेटा प्रदान कर चुका है, जो इसके डुअल फ्रीक्वेंसी सिंथेटिक एपर्चर रडार (DFSAR) उपकरण से प्राप्त हुए हैं।

आधिकारिक बयान के अनुसार, यह उपकरण एल-बैंड फुल-पोलरिमेट्रिक मोड में चंद्रमा का मानचित्रण करने वाला दुनिया का पहला रडार है, जिसकी 25 मीटर प्रति पिक्सेल की रेज़ॉल्यूशन है। यह उन्नत रडार प्रणाली ऊर्ध्व (वर्टिकल) और क्षैतिज (हॉरिज़ॉन्टल) दोनों दिशाओं में सिग्नल भेजने और प्राप्त करने में सक्षम है, जिससे चंद्र सतह के गुणों का विस्तृत अध्ययन किया जा सकता है।

इन डेटा सेट्स की मदद से अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लिकेशन्स सेंटर (SAC) के वैज्ञानिकों ने संभावित जल-बर्फ की उपस्थिति, सतह की खुरदुरापन (रफनेस) और डायइलेक्ट्रिक कॉन्स्टेंट जैसे महत्वपूर्ण विद्युत गुणों पर आधारित उन्नत डेटा उत्पाद तैयार किए हैं। डायइलेक्ट्रिक कॉन्स्टेंट सतह की घनत्व और रंध्रता (पोरोसिटी) जैसी विशेषताओं का वर्णन करता है।

इसरो ने बताया कि फुल-पोलरिमेट्रिक डेटा के विश्लेषण के लिए उपयोग किया गया एल्गोरिद्म पूरी तरह से स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है, और सभी डेटा उत्पाद भारत में ही तैयार किए गए हैं।

ये उन्नत डेटा उत्पाद चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों के बारे में प्राथमिक (फ़र्स्ट-ऑर्डर) जानकारी प्रदान करते हैं, जिन क्षेत्रों में सौर मंडल की शुरुआती रासायनिक स्थितियाँ संरक्षित होने की संभावना है। इससे ग्रहों के विकास से जुड़ी कई पहेलियों को सुलझाने में मदद मिल सकती है।

इसरो ने कहा कि ये नए डेटा उत्पाद हाइपरस्पेक्ट्रल डेटा को पूरक करेंगे, जिससे चंद्र सतह पर खनिजों के वितरण का अधिक सटीक अध्ययन संभव होगा।

हाल ही में इसरो ने अपने अब तक के सबसे भारी संचार उपग्रह CMS-03 को LVM3-M5 (जिसे ‘बाहुबली रॉकेट’ भी कहा जाता है) के जरिए सफलतापूर्वक लॉन्च किया और उसे उसकी निर्धारित कक्षा में स्थापित किया।

 

With inputs from IANS