
नई दिल्ली: भारत के बायोस्फीयर रिज़र्व इस बात का उत्कृष्ट उदाहरण हैं कि जैव-विविधता, सांस्कृतिक समृद्धि और सतत विकास किस तरह साथ-साथ आगे बढ़ सकते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, ये रिज़र्व प्रकृति और समुदायों के बीच संतुलन का सतत प्रयास दर्शाते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के ये प्राकृतिक क्षेत्र केवल संरक्षित वन्य प्रदेश नहीं हैं, बल्कि “गतिशील परिदृश्य” हैं, जहाँ पर्यावरण संरक्षण, स्थानीय आजीविका, वैज्ञानिक शोध और नीतिगत सीख—सब एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इंडिया नैरेटिव ने यह जानकारी दी।
ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, देश में 18 बायोस्फीयर रिज़र्व हैं, जो कुल 91,425 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुए हैं। इनमें से 13 को यूनेस्को के ‘वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिज़र्व’ में शामिल किया गया है, जो उनकी वैश्विक अहमियत को दर्शाता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के बायोस्फीयर रिज़र्व “लिविंग लेबोरेट्री” की तरह हैं—ऐसी जगहें जहाँ सतत विकास के सिद्धांत केवल चर्चा का विषय नहीं, बल्कि व्यवहार में लागू किए जाते हैं। इसका प्रमाण है जैव-विविधता संरक्षण के बजट में हालिया बढ़ोतरी, जो 2025-26 में बढ़कर 10 करोड़ रुपये हो गया है।
भारत का बायोस्फीयर रिज़र्व कार्यक्रम देश की प्रमुख पहलों—प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट एलिफेंट और ग्रीन इंडिया मिशन—के साथ मिलकर कार्य करता है। रिपोर्ट के अनुसार, “ये समेकित प्रयास एक ऐसी नीति संरचना तैयार करते हैं जिसमें प्रजाति संरक्षण, पारिस्थितिक प्रबंधन और सामुदायिक विकास एक-दूसरे को सशक्त बनाते हैं।”
इन पहलों ने वन क्षेत्र और उसकी गुणवत्ता में उल्लेखनीय वृद्धि की है। भारत आज कुल वन क्षेत्र के मामले में दुनिया में नौवें स्थान पर है और वार्षिक वन वृद्धि के मामले में तीसरे स्थान पर है।
रिपोर्ट में कहा गया, “यह प्रगति केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है। यह भूमि उपयोग में सकारात्मक बदलाव, बेहतर पारिस्थितिक क्षमता और जंगलों पर निर्भर समुदायों के लिए बेहतर संभावनाओं को दर्शाती है।”
बायोस्फीयर रिज़र्व कई अन्य लाभ भी देते हैं, जिनमें “पारिस्थितिक स्वास्थ्य में सुधार, संवेदनशील क्षेत्रों में जलवायु सहनशीलता में वृद्धि और जंगल-आधारित समुदायों के लिए नए आजीविका अवसर” शामिल हैं।
साथ ही, भारत के बायोस्फीयर रिज़र्व दुनिया के लिए महत्वपूर्ण सीख भी प्रदान करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, “राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल के प्रति प्रतिबद्धता, ठोस कानूनी ढांचा और वित्तीय मॉडल पर प्रयोग करने की इच्छा—ये सभी मानक अन्य देशों के लिए प्रेरणादायक हैं।”
तेजी से बढ़ते जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या वृद्धि और आर्थिक दबावों के बीच, रिपोर्ट ने चेताया कि “बायोस्फीयर रिज़र्व की असली परीक्षा उनकी समावेशिता, लचीलापन और वास्तविक जनभागीदारी में होगी।”
रिपोर्ट ने वन, वन्यजीव और लोगों के साथ-साथ विकसित होने के लिए पारिस्थितिकी, सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोणों के समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया।
With inputs from IANS