
नई दिल्ली- भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम लगातार नई उपलब्धियों के साथ आगे बढ़ रहा है। हाल ही में 4,400 किलो वजनी संचार उपग्रह का सफल प्रक्षेपण—जो अब तक भारत द्वारा कक्षा में भेजे गए सबसे भारी उपग्रहों में से एक है—इस प्रगति की ताज़ा मिसाल है, रिपोर्ट में कहा गया है।
1975 में आर्यभट के प्रक्षेपण से अंतरिक्ष युग में प्रवेश करने वाली भारत की अंतरिक्ष यात्रा दशकों की स्वदेशी नवाचारों से आगे बढ़ी है और यह उपलब्धि भारत को दुनिया की अग्रणी अंतरिक्ष शक्ति के रूप में और मजबूत करती है।
टाइम्स ऑफ ओमान की रिपोर्ट के अनुसार, वर्षों में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने उपग्रहों का एक विस्तृत बेड़ा विकसित किया है और पीएसएलवी, जीएसएलवी और एलवीएम3 जैसे प्रक्षेपण यानों के माध्यम से अपनी मजबूत क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। आने वाला स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी) भी वैश्विक छोटे उपग्रह बाजार में भारत की उपस्थिति को और मज़बूत करने वाला है।
इसरो अब तक 34 देशों के 354 विदेशी उपग्रहों को कक्षा में स्थापित कर चुका है और 2017 में एक ही मिशन में 104 उपग्रह प्रक्षेपित करने का विश्व रिकॉर्ड भी उसके नाम है।
चंद्रयान-3 ने बढ़ाया भारत का कद
2023 में चंद्रयान-3 द्वारा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के निकट सफल लैंडिंग—जो दुनिया में पहली है—ने भारत की अंतरिक्ष शक्ति की प्रतिष्ठा को नई ऊँचाइयों पर पहुंचा दिया।
सिर्फ 75 मिलियन डॉलर की लागत से पूरा इस अभियान की किफायती सफलता की सराहना नासा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और ऑस्ट्रेलियाई स्पेस एजेंसी सहित वैश्विक नेताओं और संस्थाओं ने की।
कम लागत, उच्च प्रभाव वाली इसरो की पहचान
मार्स ऑर्बिटर मिशन (मंगलयान) मात्र 74 मिलियन डॉलर में पूरा हुआ और भारत को मंगल कक्षा में पहुंचने वाला पहला एशियाई राष्ट्र बनाया। यह दुनिया का पहला ऐसा मिशन भी बना जो अपने पहले ही प्रयास में सफल रहा। छह महीने की योजना वाला यह मिशन आठ वर्षों तक वैज्ञानिक अवलोकन करता रहा।
आदित्य-एल1 मिशन ने भी सौर अनुसंधान में बड़ी छलांग लगाई, जिसने सौर अवलोकन यान को लग्रांज बिंदु-1 के आसपास हेलो कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया। इस मिशन की लागत सिर्फ 46 मिलियन डॉलर रही और यह सूरज का लगातार, बाधारहित अध्ययन संभव बनाता है।
गगनयान: 2025 में मानव अंतरिक्ष उड़ान का लक्ष्य
रिपोर्ट के अनुसार, भारत अब अपने सबसे महत्वाकांक्षी मिशन—गगनयान—की तैयारी कर रहा है, जिसके तहत देश का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन 2025 के अंत तक लॉन्च होने की उम्मीद है। वर्ष के अंत में एक बिना-मानव वाला परीक्षण प्रक्षेपण प्रस्तावित है।
इस मिशन ने अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया है। फ्रांसीसी अंतरिक्ष यात्री थॉमस पेस्केट ने इसे "बेहद प्रभावशाली" बताया और कहा कि वे भविष्य में किसी भारतीय अंतरिक्ष यात्री के साथ उड़ान भरने की उम्मीद रखते हैं।
हर नई उपलब्धि के साथ भारत किफायती और उन्नत अंतरिक्ष अन्वेषण में अग्रणी भूमिका को मजबूत कर रहा है, जो विकासशील देशों को प्रेरित करने के साथ-साथ वैश्विक अंतरिक्ष यात्रा की दिशा बदल रहा है।
With inputs from IANS