भारत ने लॉन्च की पहली स्वदेशी CRISPR-आधारित जीन थेरेपी, सिकल सेल रोग के उपचार में नई क्रांतिBy Admin Thu, 20 November 2025 06:27 AM

नई दिल्ली — आत्मनिर्भर भारत की दिशा में ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज करते हुए सरकार ने बुधवार को सिकल सेल रोग के लिए पहली स्वदेशी CRISPR-आधारित जीन थेरेपी लॉन्च की। यह रोग भारत की जनजातीय आबादी को सबसे अधिक प्रभावित करता है।

भगवान बिरसा मुंडा—महान जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी—के सम्मान में इस अत्याधुनिक, कम लागत वाली जीन एडिटिंग तकनीक को “BIRSA 101” नाम दिया गया है। इसका शुभारंभ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने किया।

डॉ. सिंह के अनुसार यह तकनीक एक “सटीक आनुवंशिक सर्जरी” की तरह काम करती है, जो न केवल सिकल सेल रोग को ठीक करने में सक्षम है, बल्कि कई आनुवंशिक विकारों के उपचार के रास्ते भी बदल सकती है।

सिकल सेल रोग एक दीर्घकालिक, एकल जीन से जुड़ा विकार है, जो लगातार रक्ताल्पता, तीव्र दर्द, अंगों को नुकसान और जीवन प्रत्याशा में भारी कमी का कारण बनता है। यह रोग रोगी के पूरे जीवन को प्रभावित करता है और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न करता है।

डॉ. सिंह ने कहा, “भारत ने आधिकारिक रूप से सिकल सेल रोग–मुक्त राष्ट्र बनने की निर्णायक यात्रा शुरू कर दी है। यह देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य और जीनोमिक चिकित्सा क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव का संकेत है।”

उन्होंने आगे कहा, “पहली स्वदेशी CRISPR-आधारित जीन थेरेपी के विकास और हस्तांतरण के साथ भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक सिकल सेल–मुक्त भारत के संकल्प को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। साथ ही अत्याधुनिक चिकित्सा तकनीकों में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य भी साकार हो रहा है।”

यह क्रांतिकारी थेरेपी CSIR-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) में विकसित की गई है। इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर उपलब्ध 20–25 करोड़ रुपये की महंगी थेरेपीज़ की जगह बेहद कम लागत पर भारतीय समाधान देना है।

आईजीआईबी ने पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के साथ तकनीक हस्तांतरण और सहयोग समझौता किया है, जिसके तहत विशेष enFnCas9 CRISPR प्लेटफॉर्म को बड़े स्तर पर उत्पादन कर इसे सिकल सेल रोग एवं अन्य आनुवंशिक बीमारियों के लिए सुलभ और सस्ती थेरेपी में बदला जाएगा।

सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक डॉ. उमेश शालिग्राम ने कहा, “दुनिया में जीन थेरेपी की लागत तीन मिलियन डॉलर से अधिक होती है, जिसे अमीर लोग भी वहन नहीं कर सकते। हमारा मिशन भारतीय नवाचार को सबसे गरीब व्यक्ति तक पहुँचाना है।”

 

With inputs from IANS